बिहार में चकबंदी कानून पर काम शुरू, किसानों को एक जगह मिलेगा पुश्तैनी बंटवारे के जमीन का हिस्सा

नेशनल इस्टीट्यूट आॅफ स्मार्ट गवर्नेंस (एनआईएसजी) चकबंदी के काम को हाइब्रिड तकनीक से कराने और थर्ड पार्टी सुपरविजन में बिहार सरकार का सहयोग करेगा। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव व चकबंदी निदेशक विवेक कुमार सिंह ने इस संबंध में हैदराबाद स्थित एनआईएसजी के मुख्य कार्यालय का दौरा कर मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी जेआरके राव (सेवानिवृत्त आईएएस अफसर) से मुलाकात की। इस दौरान चकबंदी के काम को हाइब्रिड तकनीक से कराने और इसका थर्ड पार्टी सुपरविजन के संदर्भ में विस्तार से बातचीत हुई। जेआरके राव ने इस संबंध में सभी तकनीकी सहयोग उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया। इससे पहले अपर मुख्य सचिव के साथ गई टीम ने एनआईएसजी के हैदराबाद एवं बेंगलुरू के तकनीकी पदाधिकारियों के साथ कई दौर की बैठक की। चकबंदी निदेशालय की टीम में संयुक्त निदेशक नवल किशोर और आरा सदर के चकबंदी पदाधिकारी पूर्णेंदु कुमार वर्मा शामिल थे।

5 जनवरी की बैठक में दिया जाएगा प्रेजेंटेशन
इस बीच निदेशालय अमीन राम बाबू सिंह को रूड़की भेजकर कैमूर जिले के कठौरा कम्हारी ग्राम के चकबंदी खतियान एवं नक्शा का डिजिटाइजेशन कराएगा। यह काम आईआईटी रूड़की के कंप्यूटर लैब में होगा। उसके आधार पर डाॅ. कमल जैन द्वारा डिजिटल मैप एवं खतियान जो कंप्यूटर आधारित होगा। उसका प्रजेंटेशन 5 जनवरी को किया जाएगा। 5 जनवरी को पटना के शास्त्रीनगर स्थित सर्वे प्रशिक्षण संस्थान में चकबंदी में आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल के मुद्दे पर एक दिवसीय बैठक का आयोजन किया गया है। इस बैठक में चकबंदी निदेशालय से जुड़े पदाधिकारियों के अलावा एनआईएसजी हैदराबाद की तकनीकी टीम और आईआईटी रूड़की के भूमि-सर्वेक्षण मामले के विशेषज्ञ प्रो. डाॅ. कमल जैन भी मौजूद रहेंगे।

एक मौजा में चकबंदी का काम पूरा करने में लगेगा कम से कम दो महीने का वक्त
चकबंदी निदेशालय की योजना के मुताबिक बिहार में चल रहे विशेष भूमि सर्वेक्षण पूरा होने के तत्काल बाद संबंधित मौजों का चकबंदी भी साथ-साथ किया जाना है। इसके लिए शेखपुरा जिले के घाट कुसुम्बा अंचल के मौजा गुरेरा का चयन पायलट प्रोजेक्ट के रूप किया गया है। इस मौजा में मार्च 2021 के अंत तक भूमि सर्वेक्षण का काम पूरा होने की उम्मीद है। अप्रैल से इस मौजा में चकबंदी का काम शुरू हो जाएगा। एक मौजा में चकबंदी का काम पूरा होने में दो महीने का वक्त लगेगा। चकबंदी निदेशालय इस बीच की अवधि का इस्तेमाल सर्वेक्षण के डिजिटल मैप एवं डिजिटल खतियान के समन्वय में करेगा।

हाईकाेर्ट के अादेश पर चार जिलों में चल रहा काम
बिहार में फिलहाल शाहाबाद के चार जिले- बक्सर, रोहतास, भभुआ एवं गोपालगंज में चकबंदी का काम चल रहा है। कुल मिलाकर 39 अंचलों के करीब 5723 मौजों में चकबंदी का कार्य चल रहा है। चकबंदी निदेशालय के मुताबिक करीब 7500 नक्शा को डिजिटाइज कर दिया गया है, जो सर्वेक्षण कार्यालय, गुलजारबाग में उपलब्ध है। चकबंदी का मौजूदा काम पटना हाईकोर्ट के आदेश पर किया जा रहा है। वर्ष 1992 से पहले बिहार के 180 अंचलों मे चकबंदी का काम सघन रूप से चल रहा था, जिसे तत्कालीन सरकार द्वारा कई कारणों से बंद कर दिया गया था। सरकार के इस फैसले के खिलाफ कई किसान संगठन न्यायालय की शरण में चले गए। पटना हाईकाेर्ट ने वर्ष 2000 में राज्य सरकार को चकबंदी शुरू करने का निर्देश दिया। तत्कालीन राज्य सरकार ने इस फैसले के खिलाफ 2003 में सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर किया, पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। इस प्रकार वर्ष 2004 से पुनः बिहार में सात अंचलों से चकबंदी का काम शुरू हुआ।

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