अभी-अभी : चल गया केजरीवाल का जादू, आप 52, भाजपा 17 और कांग्रेस 1 पर आगे

दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत किसकी होगा, फैसला मंगलवार को होना है। वोटों की गिनती जारी है। रुझानों में आम आदमी पार्टी स्पष्ट बहुमत हासिल करती नजर आ रही है। 70 विधानसभा सीटों के लिए 8 फरवरी को 62.59% वोट डाले गए थे। हालांकि, चुनाव आयोग ने वोटिंग के आंकड़े मतदान के करीब 24 घंटे बाद जारी किए। आम आदमी पार्टी ने इस पर हैरानी जताई और कहा कि भीतर ही भीतर खेल चल रहा है। आप ने ईवीएम की सुरक्षा पर भी सवाल उठाए। इसी के चलते दिल्ली की सत्ताधारी पार्टी ने हर स्ट्रॉन्ग रूम पर अपने 10-10 कार्यकर्ता तैनात कर दिए हैं। दिल्ली में अभी आम आदमी पार्टी की सरकार है। भाजपा 22 साल और कांग्रेस 7 साल से सत्ता से दूर है।

वोटों की गिनती से 672 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला हो रहा है, इनमें से 593 पुरुष और 79 महिला प्रत्याशी हैं। 1.46 करोड़ मतदाताओं ने मताधिकार का इस्तेमाल किया। दिल्ली के 11 जिलों की 21 लोकेशन पर वोटों की गिनती की जा रही है। कॉमनवेल्थ गेम्स स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, एनएसआईटी द्वारका, मीराबाई इंटस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, जीबी पंत इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, सर सीवी रमन आईटीआई, धीरपुर, राजीव गांधी स्टेडियम भी वोटों की गिनती वाली 21 जगहों में शामिल हैं। 33 काउंटिंग ऑब्जर्वर्स हैं। दिल्ली के मुख्य चुनाव अधिकारी रनबीर सिंह ने कहा कि सभी ईवीएम का वोटिंग से पहले ही परीक्षण किया गया था। इनसे छेड़छाड़ संभव नहीं है। आप ने ईवीएम की सुरक्षा पर सवाल उठाया था। पार्टी ने हर स्ट्रॉन्ग रूम पर अपने 10-10 कार्यकर्ता तैनात किए थे।

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 में 62.59% वोट डाले गए। यह पिछली बार के मुकाबले करीब 5% कम हैं। 2015 में चुनाव के दौरान 67.5% वोट डाले गए थे। पिछले चुनाव के ट्रेंड बताते हैं कि दिल्ली में जब भी मतदान का प्रतिशत कम रहा, तो सरकार नहीं बदली। 2003 में 53% और 2008 में 58% वोटिंग हुई थी। इन दोनों ही चुनावों में सरकार नहीं बदली थी। 2013 में दिल्ली के लोगों ने उस वक्त तक की सबसे ज्यादा 65.63% वोटिंग की थी। जब नतीजे आए, तो 15 साल से सत्तारूढ़ कांग्रेस की विदाई हो गई। हालांकि, किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला और त्रिशंकु विधानसभा जल्दी ही भंग हो गई। 2015 के चुनाव में अब तक का सबसे ज्यादा 67.12% मतदान हुआ। ऐतिहासिक नतीजों में 70 में से 67 सीटें आम आदमी पार्टी ने जीती थीं। भाजपा को 3 सीटें मिलीं और कांग्रेस अपना खाता तक नहीं खोल पाई।

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