चाय दुकान चलाने वाले की बेटी अंजलि बनी अफसर, BPSC परीक्षा में मिला 11वां स्थान, चंपारण की लाडली ने रचा इतिहास

भगवान ने उस लड़की का जन्म गरीब परिवार में दिया था लेकिन उसके किस्मत में लिखा था कि उसे आगे चलकर अफसर बनना है. पढ़ने में बचपन से तेज थी. यही कारण था कि उसने हार मानने के बदले संघर्ष करने का फैसला किया और आज उसका परिणाम भी आ गया। पिता चाय और मिठाई की दुकान चलाते हैं। अंजलि का कहना है की छोटी उम्र में लड़कियों पर शादी का दबाव नहीं बनाया जाना चाहिए। अगर बेटियों को भी बराबरी का मौका मिले तो वह कुछ करके दिखा सकती है

नमस्कार आप पढ़ रहे हैं डेली बिहार डॉट कॉम. किस्सा बिहार का में आज हम आपको पश्चिम चंपारण की बेटी अंजली कुमारी की कहानी बताने जा रहे हैं. अंजली कुमारी के पिता खुद का चाय दुकान चलाते है. जो भी आमदनी होता है उससे घर का खर्च चलता है और बचे हुए पैसे से पढ़ाई लिखाई होती है. वह बगहा की रहने वाली है. उसके पिता का नाम सुरेश गुप्ता है. अभी कुछ दिन पहले ही उसने बीपीएससी अर्थात बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा ली गई परीक्षा में शामिल हुई थी. जब रिजल्ट आया तो उसे पता चला कि पूरे बिहार में उसे 11 स्थान मिला है. सफलता का श्रेय अंजलि अपने माता-पिता को देती है.

रिजल्ट निकलने के बाद से घर में दिवाली और होली जैसा माहौल है. मम्मी पापा लड्डू बांट रहे हैं. बधाई देने के लिए लोगों का तांता लगा हुआ है. पिता को यह तो पता है कि बिटिया को सरकारी नौकरी हुई है लेकिन वह अफसर बन गई है उन्हें नहीं पता. वो कहते हैं कि मेरी बिटिया ने आज ना सिर्फ मेरा बल्कि पूरे गांव का नाम रोशन कर दिया है. पिता सुरेश गुप्ता ने बताया कि आमदनी इतनी नहीं थी की बेटी को कहीं बाहर भेज कर पढ़ाया जा सके। बावजूद इसके घर से तैयारी कर अंजलि ने बीपीएससी में अच्छा रैंक लाया है। अंजलि की पढ़ाई रामनगर के सरकारी स्कूल से हुई है।

वहीं अंजलि ने ग्रेजुएशन RLSY बेतिया से किया है। हालांकि पढ़ाई के लिए कई दफा अंजलि के मां-पिता ने मना भी किया। इसके बावजूद अंजली घर से ही ऑनलाइन का सहारा लेकर तैयारी शुरू की। इसके बाद बीपीएससी की परीक्षा में अच्छा रैंक लाकर अपने परिवार ही नहीं बल्कि रामनगर का नाम रोशन किया।

पत्रकारों से बात करते हुए अंजलि ने कहा आज भी बिहार में लोग बेटी को पढ़ाना नहीं चाहते जो कि गलत है. माता-पिता को चाहिए कि बेटी को भी बेटियों जैसा समान मौका दिया जाए. शादी के लिए जल्दबाजी ना करें. अगर लड़कियों को भी बराबरी का मौका मिले तो वह परचम लहरा सकती है.

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