इन महिला वैज्ञानिकों के हाथ में रहेगी चंद्रयान-2 की कमान, अंतरिक्ष मिशन में ऐसा पहली बार होगा
PATNA: भारत के बहुप्रतिक्षित चंद्रयान-2 मिशन पर देश ही नहीं दुनियाभर की निगाहें टिकी हुई हैं। सोमवार की दोपहर 2:43 में इसरो ने चन्द्रयान का सफल प्रक्षेपण किया है। अमरीका, रूस और चीन के बाद भारत अब चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करानेवाला चौथा देश बन गया है।
इसरो के अनुसार चंद्रयान-2 को संभव करने वाले स्टाफ में 30 प्रतिशत महिलाएं हैं। ये महिलाओं की सबसे बड़ी उपलब्धि के रूप में मानी जा रही है। इतना ही नहीं, चंद्रयान-2 की इस यात्रा की सबसे दिलचस्प बात येहै कि इसकी कमान इन दो महिला वैज्ञानिकों के हाथ में रहेगी। इसरो के किसी अंतरिक्ष मिशन में ऐसा पहली बार होगा। इनमें वनिथा मुथैया प्रोजेक्ट डायरेक्टर के तौर काम कर रही हैं तो वहीं रितु करिढाल मिशन डायरेक्टर हैं। दोनों को 20 साल से अधिक का अनुभव है।
वनिथा इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम इंजीनियर ओर डाटा विश्लेषण विशेषज्ञ हैं। चंद्रयान का अहम उद्देश्य पानी, विभिन्न धातुओं और खनिजों सहित चंद्र सतह के तापमान, विकिरण, भूकंप आदि का डाटा जमा करना है। ऐसे में उनका काम मिशन से जुटाए डाटा का विश्लेषण रहेगा। वनिथा चंद्रयान-1 के लिए भी यह काम कर चुकी हैं। वे भारत के रिमोट सेन्सिंग उपग्रहों की व्यवस्था भी संभालती रही हैं। यही वजह रही कि उन्हें चंद्रयान-2 प्रोजेक्ट में शुरू से प्रमुख भूमिका दी गई।
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Courtesy: ISRO pic.twitter.com/pwVqgdnaOJ— ANI (@ANI) July 22, 2019
रितु करिढाल चंद्रयान-2 के चंद्रमा की परिक्रमा-कक्षा में दाखिल होने से जुड़े मिशन पर फोकस रहेंगी। इस काम को बेहद जटिल माना जा रहा है। वे आईआईएससी बैंगलोर से अंतरिक्ष विज्ञान इंजीनियरिंग में मास्टर्स कर चुकी हैं। रितु इससे पहले मार्स ऑर्बिटर मिशन (एमओएम) की डिप्टी ऑपरेटिव निदेशक के तौर भी पर इसरो के लिए काम कर चुकी हैं। एमओएम भारत का पहला अंतर-ग्रहीय मिशन है जिसे वर्ष 2013 में प्रक्षेपित किया गया था।
मुथैया यूआर राव सैटेलाइट सेंटर से एक इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम इंजीनियर हैं। वह डिजिटल सिग्नल प्रोसेसिंग में माहिर हैं और उन्होंने उपग्रह संचार पर कई पेपर लिखे हैं। उन्होंने मैपिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले पहले भारतीय रिमोट सेंसिंग उपग्रह (कार्टोसैट 1), दूसरे महासागर अनुप्रयोग उपग्रह (ओशनसैट 2) और तीसरे उष्णकटिबंधीय में जल चक्र और ऊर्जा विनिमय का अध्ययन करने के लिए इंडो-फ्रेंच उपग्रह (मेघा-ट्रॉपिक) पर उप परियोजना निदेशक के तौर पर काम किया है। 2006 में उन्हें एस्ट्रॉनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया ने सर्वश्रेष्ठ महिला वैज्ञानिक पुरस्कार से सम्मानित किया था। साइंस जर्नल नेचर ने उनका नाम उन पांच वैज्ञानिकों की श्रेणी में रखा था जिनपर 2019 में नजर रहेगी।