कल मनेगा चौठ चंद्र, कलंक से बचने के लिए सिर्फ मिथिला के लोग करते हैं चन्द्रमा का दर्शन

DAILY BIHAR : भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी यानी सोमवार को किए जाने वाले लोक आस्था के पर्व चौठचंद्र को लेकर श्रद्धालु भक्तों में काफी उल्लास है। घर-घर इसकी तैयारियां की जा रही हैं। सोमवार की शाम व्रती महिलाएं अपने आंगन या छत पर रंग बिरंगे चौक लगाएंगी। उसके ऊपर छोटे-छोटे मिट्टी के बर्तनों में दही व पकवान की डाली रखकर उगते चंद्र को अर्घ्य देंगी। हाथों में एक-एक कर दही व पकवान की डाली लेकर दूध व गंगाजल से चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाएगा।

लोक आस्था के इस पर्व का महात्म्य पुराणों में भी दिया गया है। इस दिन व्रत रहने से व्यक्ति के रोग-व्याधि आदि सभी क्लेश दूर हो जाते हैं। व्रत में फल व दही का विशेष महत्व है। इसे लेकर शनिवार को बाजार में काफी चहल-पहल रही। पर्व को देखते हुए फल दुकानदार अपनी दुकानों पर तरह-तरह के मौसमी फल जैसे – केला, सेब, नाशपाती, अनार आदि सजाए थे। अर्घ्य के समय दही के छाछ को आगे रखकर चंद्रमा को देखा जाता है। कहा जाता है कि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को बिना कोई फल लिए चंद्र दर्शन करने से दोष लगता है। इस दिन किया गया स्नान, दान, उपवास व अर्चना, गणपति की कृपा से सौ गुनी हो जाती है। पर्व में महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखने के बाद संध्या समय चंद्रमा को अघ्र्य देंगी। पर्व में तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं और दही व खीर की प्राथमिकता है।


भाद्र शुक्ल चतुर्थी तिथि को चंद्रमा को देखना दोष है। इसलिए पूरे भारत में इस दिन चंद्रमा का दर्शन करने से लोग परहेज करते हैं। कहीं- कहीँ तो इस रोज चंद्रमा के ऊपर ढ़ेला फेंकने की भी परंपरा है। लेकिन, सिर्फ मिथिला में इसे पूरे उत्साह के साथ पर्व मनाकर पूजा के बाद हाथ में फल लेकर सभी लोग चंद्रमा का दर्शन सिंह प्रसेन…मंत्र पढ़ते हुए करते हैं। कासिदसंविवि में पीजी दर्शनशास्त्र के शिक्षक डॉ. बौआ नंद झा कहते हैँ कि मिथिला में मिथ्या कलंक से बचने के लिए सभी लोग फल हाथ में लेकर चंद्रमा को प्रणाम करते हैँ। रविवार को ही हरितालिका व्रत हो जाने के कारण खासकर महिलाओं की परेशानी बढ़ गई। उन्हें एक साथ दोनो पर्व की तैयारी को लेकर दिनभर काम करना पड़ा। यह पर्व महिलाएं अपने लंबे सौभाग्य के लिए करती हैं। कथा है कि पार्वती माता ने इस पर्व को मना कर शंकरजी जैसे त्रैलोक गुण संपन्न पति की प्राप्ति की थी।

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