छठ की शुभकामना देकर ट्रोल हो गए तेजस्वी, ट्विटर पर यूजर्स ने पूछा- क्‍या अपने पिता की बात कर रहे हैं?

बिहार में लोक आस्था का महापर्व छठ (Chhath) गुरुवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य (Morning Argh) के साथ समाप्त हो गया। उगते सूर्य को उपासना के बात छठ व्रतियों ने पारण किया। लेकिन छठ पर्व के दौरान राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के छोटे बेटे और नेता प्रतिपथ तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) छठ की शुभकामना देकर ट्विटर पर ट्रोल हो गए। तेजस्वी से यूजर्स ने कई तरह के सवाल पूछ डाले। 

तेजस्वी यादव ने छठ महापर्व को लेकर ट्वीट कर बिहार की जनता को शुभकामनाएं दी। इस दौरान उन्होंने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के महत्व के बारे में बताया। तेजस्वी यादव के इस ट्वीट पर ढेर सारे यूजर्स ने छठ महापर्व की शुभकामनाएं दी। साथ ही यह भी लिखा कि एक प्राणी की शक्ति भले क्षीण हो जाए, उसके ऋृण व जीनवकाल में उसके योगदान को भुलाया नहीं जाना चाहिए।

दरअसल, तेजस्वी यादव ने अस्ताचलगामी सर्य के अर्घ्य को लेकर व्याख्या की थी और उन्होंने लिखा था कि एक प्राणी की ताकत भले ही खत्म हो जाए, लेकिन उसका ऋण व जीवन भर उसके द्वारा दिए गए योगदान को भुलाया नहीं जाना चाहिए। पर, यूजर्स ने इसके और अर्थ भी निकाले।

शुंभू नाम के यूजर ने तेजस्वी से यह सवाल पूछ डाला कि वे किसकी बात कर रहे हैं? तेज बाबू (तेज प्रताप यादव) की, छठ की या अपने पिताजी (लालू प्रसाद यादव) की? वही सीएसए नाम के एक अन्‍य यूजर ने लिखा कि क्यूं आप कम जानकारी होने का प्रमाण दे रहे हैं? इस पावन पर्व पर शुभकामनाएं सही है, लेकिन अंतिम वाक्य का मतलब क्या है?

जनता दल यूनाइटेड के विधान पार्षद और प्रवक्ता नीरज कुमार ने भी इस ट्वीट के बाद तेजस्वी को निशान पर लिया। उन्होंने कहा कि तेजस्वी प्रवासी बिहारी हैं, इसलिए उन्हें अस्ताचलगामी और उदीयमान सूर्य दिखता नहीं है। नीरज कुमार ने तंज कसते हुए कहा कि छठ की आस्था को ट्विटर पर जाहिर करने से अच्छा होता कि वे अपने क्षेत्र में रहकर आस्था व्यक्त करते। 

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