चिराग ने खुद को माना BJP का ‘एजेंट’, कहा—PM मोदी अमित-शाह ने रोका होता तो अलग चुनाव नहीं लड़ता

बिहार विधानसभा का चुनाव एनडीए से अलग लड़ने पर गुरुवार को लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने साफ किया कि हमारा मकसद सिर्फ नीतीश कुमार को हराना है। मैं भाजपा के साथ था…साथ हूं और साथ रहूंगा। अलग चुनाव लड़ने पर पीएम मोदी और शाह को लेकर चिराग ने कहा कि उन लोगों ने मुझे नहीं रोका। हां, रोकते तो मैं एक बार विचार जरूर करता। खैर, अब तो फैसला कर ही लिया तो अलग ही चुनाव लड़ेंगे। सरकार के दावे पर चिराग ने कहा कि 10 नवंबर को लोजपा और भाजपा मिलकर सरकार बनाएगी।

सवाल: आप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिल में उतरा हुआ आदर्श मार्गदर्शक व्यक्तित्व मानते हैं। एनडीए के व्यापक हित और मजबूती के लिए नरेंद्र मोदी या गृह मंत्री अमित शाह ने आपको अकेले चुनाव लड़ने से रोका नहीं?चिराग: नहीं, कभी नहीं। रोकते तो शायद मैं इस बारे में सोचता भी।

सवाल: आपने खुद पहल करके कभी इन मसलों पर प्रधानमंत्री से बात करने की जरूरत समझी?चिराग: नहीं, मैं उनको धर्मसंकट में नहीं डालना चाहता था। हां, मैंने उनके अलावा भाजपा नेतृत्व से लगातार अपनी बात कही और संतुष्ट भी किया।

सवाल: आप अकेले क्या इसलिए लड़ रहे हैं, क्योंकि गठबंधन में आपकी पार्टी को मनमुताबिक सीटें नहीं मिल रही थीं?चिराग: बिल्कुल नहीं। सीटों पर तो भाजपा से कभी बात ही नहीं हुई। हमारा मकसद नीतीश कुमार को सीएम नहीं बनने देना है। हम उसी में लगे हैं। 10 नवंबर को भाजपा और लोजपा की सरकार बनने जा रही है।

सवाल: लेकिन कैसे? भाजपा तो संबंधों को नकार रही है और आपकी पार्टी में आए नेताओं को निकाल रही है…क्या आप भाजपा से एकतरफा प्यार कर रहे हैं?चिराग: अरे नहीं। हम भाजपा के साथ थे…साथ हैं और साथ रहेंगे। भाजपा नेता मेरे खिलाफ नहीं बोल रहे, बल्कि नीतीश कुमार उनसे बुलवा रहे हैं, क्योंकि वे बहुत परेशान हैं।’

सवाल: मगर भाजपा तो नीतीश कुमार को 2025 तक के लिए अपना सीएम बता चुकी है, चाहे जितनी भी सीटें आए?चिराग: यह बड़ों की बातों से सीखने की बात है। देखिएगा, जदयू का खाता नहीं खुलेगा।

सवाल: भाजपा तो आपको प्रधानमंत्री की तस्वीर तक का इस्तेमाल नहीं करने को चेता रही है?चिराग: प्रधानमंत्री जी तो मेरे दिल में हैं। मुझे उनकी तस्वीर की क्या जरूरत? यह जरूरत तो नीतीश कुमार को है।

सवाल: आप सिर्फ जदयू के खिलाफ उम्मीदवार दे रहे हैं? मकसद, सिर्फ जदयू को हराना है या खुद जीतना?चिराग: दोनों। इकट्ठा मकसद-नीतीश कुमार को सीएम नहीं बनने देना।

सवाल: भाजपा के खिलाफ उम्मीदवार न देने से धारणा बनी है कि आप भाजपा के अघोषित सहयोगी या फिर बी टीम के रूप में काम कर रहे हैं?चिराग– इसमें ए, बी टीम की बात क्या हुई? मैं तो अपनी, भाजपा के साथ की बात आपको बार-बार कह रहा हूं। वैसे लोजपा की अपनी सोच और विचारधारा है। हम इसी पर काम करते हैं।

सवाल: आखिर क्या गड़बड़ाया कि ऐसी नौबत आ गई?चिराग: हम कभी जदयू के साथ थे ही नहीं। हां, तीन साल पहले ऐसी परिस्थितियां बनीं कि साथ होना पड़ा। इसके केंद्र में भी भाजपा का आग्रह था। बदले में जदयू से हमें क्या मिला-राज्यसभा चुनाव के दौरान पापा (रामविलास पासवान) का अपमान और बीते लोकसभा चुनाव में बड़ा धोखा। जदयू नेतृत्व ने पीठ में छुरा घोंपने का काम किया। हमारे उम्मीदवारों को हराने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

सवाल: तो आप व्यक्तिगत खुन्नस निकाल रहे हैं; बदला ले रहे हैं?चिराग: बिल्कुल नहीं। बिहार की बेहतरी के लिए नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद से हटाना जरूरी है। एक और बात। हमारे लिए तो रेड कारपेट बिछा था। अलग लड़ने का रिस्क क्यों लेते? मगर हमें राज नहीं, बल्कि बिहार के नाज की लड़ाई लड़नी थी और लड़ रहे हैं।

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