चुनाव में टांय-टांय फिस्स हुए सीएम नीतीश कुमार, बिहार में NDA को हो रहा जबरदस्त घाटा

2019 के लोकसभा चुनाव के विभिन्न सर्वे और आकलन से यह संकेत मिल रहे हैं कि नीतीश कुमार के एनडीए में शामिल होने और उन्हें 17 सीटें देने के बावजूद बिहार में एनडीए की सीटों में कोई इजाफा नहीं होने जा रहा है। नीतीश कुमार की तथाकथित लोकप्रियता को देखते हुए और मोदी लहर न होने से बीजेपी ने नीतीश कुमार को अपने बराबर 17 सीट सौंप दी जिसमें उसकी जीती हुई पांच सीटें भी सौंप दी। मगर जो संभावित नतीजे हैं उससे बीजेपी की यह चाल सफल होती नहीं दिख रही है।

2014 की तरह इस बार भी एनडीए को 40 सीटों में 30 सीटें ही मिल सकती है। यही हाल महागठबंधन का भी है। इस बार महागठबंधन में एनडीए के सहयोगी दल रालोसपा और हम के अलावा वीआईपी पार्टी भी शामिल हैं मगर महागठबंधन को भी 2014 की तरह ही इस बार भी दस सीटें ही मिलती नजर आ रही है। सातों चरण का मतदान पूरा हो चुका है और अनुमानों के घोड़े दौड़ने लगे हैं। बहरहाल, अब सबकी निगाहें 23 तारीख को होने वाली मतगणना पर टिकी हुई हैं। उसी रोज इनत माम एक्जिट पोलों की पोल खुलेगी। बिहार में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन और बीजेपी-जदयू व लोजपा वाले एनडीए गठबंधन के बीच में है।

एग्जिट पोलों के मुताबिक बिहार में इस बार बीजेपी गठबंधन को कुल 30 सीटें और महागठबंधन को कुल 10 सीटें मिलती दिख रही हैं। ढेर सारे सर्वे हुए मगर साइलेंट वोटर पर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया। दो सीट जीतने वाले जदयू को बीजेपी ने इस बार 17 सीटें तो दी मगर उसका कोई लाभ मिला या नहीं यह देखने की बात होगी। जहां तक एक्जिट पोल की बात है तो प्रायः यह देखा गया है कि एक्जिट पोल गलत ही साबित होते हैं। मगर इस बार जितने भी एक्जिट पोल हुए हैं सब में बीजेपी को स्पष्ट बढ़त और एनडीए सरकार बनती दिखाई गई है। ऐसे सवाल यह है कि क्या तमाम एक्जिट पोल गलत साबित हो जाएंगे?

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