विधान परिषद में बोले सीएम नीतीश, मैथिली-भोजपुरी में शुरू हो स्कूल में बच्चों की पढ़ाई

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में मैथिली की पढाई शुरू होनी चाहिए, हम तो चाहते हैं कि भोजपुरी की भी पढाई हो। उन्होंने कहा कि पहले भी हमनें कहा है कि बिना मिथिला के विकास के बिहार का विकास असंभव है। श्री कुमार मंगलवार को बिहार विधान परिषद में भोजनावकाश के बाद राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव को लेकर चर्चा के बाद सरकार की ओर से उत्तर देने के क्रम में ये बातें कही। इसके बाद कांग्रेस के प्रेमचंद मिश्र ने धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान पेश किए अपने संशोधन प्रस्ताव को वापस ले लिया।

इसके पूर्व श्री मिश्र ने मुख्यमंत्री से मैथिली की पढाई शुरू करने की मांग की थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान मैथिली को संविधान के अष्टम सूची में शामिल कराने के लिए. प्रस्ताव लेकर हम ही गए थे, जिस पर अटल जी ने संविधान संशोधन कर मैथिली को अष्टम सूची में शामिल किया था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमारने कहा कि शिक्षा मंत्री स्वयं मिथिला क्षेत्र के हैं और वे मैथिली की पढाई शुरू किए जाने पर विचार करेंगे। वे देखेंगे कि आखिर क्या परेशानी आ रही है।

मिथिलाक्षर लिपि मिथिला का धरोहर है : विनोदइसके लिए बिहार विधानसभा में उठाई मांग
बिहार विधानसभा में मधुबनी जिले के कई विधायकों ने मिथिला की अपनी लिपि मिथिलाक्षर को संरक्षण व संवर्द्धन प्रदान करने की जोरदार रूप से मांग उठाई है। बेनीपट्टी के विधायक व पूर्व मंत्री विनोद नारायण झा ने कहा कि सरकार मिथिला और संपूर्ण भारत के धरोहरों को उजागर करना चाह रही है। आर्कियोलोजिकल पर सरकार कार्य कर रही है। कालांतर में मिथिलाक्षर को खत्म किया गया जो तिरहुताक्षर में जाना जाता है।

मिथिलाक्षर लिपि भी मिथिला का धरोहर है। मिथिलाक्षर लिपि के संरक्षण व संवर्द्धन पर बिहार सरकार की क्या योजना है वह वो जानना चाहते हैं और इसको सबल बनाने की मांग करते हैं। बेनीपट्टी अनुमंडल के बिस्फी के विधायक हरिभूषण ठाकुर बिचौल ने कहा कि विश्व की मधुर भाषा मैथिली है। मैथिली की पढ़ाई कर मिथिलांचल के लाल डीएम बन रहे हैं। मिथिलांचल के 90 प्रतिशत बच्चा मैथिली भाषा के सहारे आइए, बीए और अन्य उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं तो फिर मिथिलाक्षर लिपि को मिथिला के विकास के लिए सरकार को संरक्षण व संवर्द्धन प्रदान करने की जरूरत है।

विधायक अरुण शंकर प्रसाद ने कहा कि मिथिलाक्षर मिथिलांचल की अपनी भाषा है। सरकार द्वारा इसकी देखभाल किया जाना आवश्यक है। उन्होंने सदन से उच्चस्तरीय समिति बनाकर पूरे विश्व में मिथिलाक्षर लिपि से जुड़े अवशेषों की खोज कर इसको संरक्षण व संवर्द्धन देने की पुरजोर मांग की। विभागीय मंत्री को उन्होंने गोल-गोल नहीं घुमाकर इस पर समुचित जवाब देने की मांग की।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *