400 KM ठेला चला कर कोलकाता से बिहार पहुंचे पिता-पुत्र, मुश्किल की घड़ी में नहीं मिला कोई मददगार

Patna: कोरोना महामारी सबके लिये आफत बनकर आया है, दूसरे प्रदेशों में जो मजदूर अपने परिवार का खर्च चलाने के लिये कुछ काम करते थे लॉकडाउन के चलते उनका काम पूरी तरह चौपट हो गया. बिहार के खगड़िया के रामपुर निवासी रामजी शाह और उनके पुत्र पवन शाह का ऐसे ही कुछ हाल हैं.

पिछले बीस वर्षों से पिता कोलकाता के बड़ाबाजार स्थित आलू गोदाम से अपने ठेला गाड़ी से आलू ढोने काम करते थे. बाद में उनका बेटा पवन भी उन्हीं के पास पहुंच गया और वो मजदूरी करने लगा. दोनों अपने मेहनत के हिसाब से ठीक ठाक कमाई कर लेते थे, जिससे अपने साथ ही घर का भी खर्च चलाते थे.

तो वहीं दोनों ने बताया कि चिलचिलाती धूप और ऊपर से भूखे पेट ठेला चलाना बहुत मुश्किल हो रहा था. बावजूद बारी-बारी से दोनों एक दूसरे को खींचते हुए मंजिल की ओर बढ़ते रहने की बात कह रहे हैं. कटोरिया बाजार पहुंचने पर कुछ लोगों ने नाश्ते पानी का जुगाड़ किया और करीब घंटे भर के बाद पुत्र पिता को ठेला में खींचते हुए मंजिल की ओर निकल पड़ा.

दोनों ने बताया कि कोई सहायता नहीं मिली न मुफ्त का भोजन और ना ही सरकार के द्वारा मिलने वाला 1 हज़ार रुपये. इस संकट की घड़ी में भी जो भी करना होता था अपने बदौलत ही करना पड़ता था. उन्होंने बताया कि मुश्किल की घड़ी में कोई मददगार नहीं मिला जिसके चलते कमाया हुआ सारा पैसा खाने में खत्म हो गए. आपको बता दें कि पांचवें दिन में चार सौ किलोमीटर से ज्यादा की सफर करते हुए पिता-पुत्र की जोड़ी बीते मंगलवार को कटोरिया पहुंची.

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