कांग्रेस को रास नहीं आ रही बंगाल में राजद-तृणमूल की दोस्ती, तेजस्‍वी यादव के फैसले पर उठाए सवाल

Desk: पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव (West Bengal assembly elections) के ऐन पहले राजद (RJD) का तृणमूल (Trinamool) से दोस्ती गांठना बिहार कांग्रेस को नागवार गुजर रहा है। कांग्रेस को उम्मीद थी कि पश्चिम बंगाल में नए रिश्ते बनाने से पहले बिहार विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव कांग्रेस से इस मसले पर एक बार बात अवश्य करेंगे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। तेजस्‍वी यादव ने कांग्रेस को विश्वास में लिए बिना बल्कि कांग्रेस को दरकिनार कर पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन कर लिया। जिसके बाद से कांग्रेस का प्रदेश खेमा बेहद नाराज है। चर्चा यह भी है कि कांग्रेस का प्रदेश नेतृत्व अब इस मसले पर राजद के साथ आमने-सामने बातचीत की तैयारी कर रहा है।

कांग्रेस के प्रयास को लगा धक्‍का

असल में कांग्रेस की नाराजगी की वजह बिल्कुल साफ है। कांग्रेस पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) और भाजपा (BJP) को पांव पसारने से रोकने की कोशिश में जुटी है। कांग्रेस बिहार की तरह बंगाल में भी भाजपा के रथ को रोकने के लिए तमाम सेक्युलर दलों को एक मंच पर लाना चाहती है। पर उसकी सोच के विपरीत बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने सोमवार को तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी से मुलाकात की। यही नहीं, तेजस्वी ने कोलकाता और इसके आपपास के उप नगरीय क्षेत्रों में बसे बिहारियों से अपील भी कर दी कि वे ममता बनर्जी के पक्ष में मतदान करें। तेजस्वी के इस कदम ने कांग्रेस की रणनीति पर पानी तो फेरा ही उसकी पेशानी पर बल भी ला दिया है।

बिहार कांग्रेस में विरोध की लहर

बिहार में कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता अजीत शर्मा कहते हैं कि हमारे प्रयास शुरू से थे कि बिहार की तरह सेक्युलर पार्टियां पश्चिम बंगाल में एक छतरी के नीचे आकर भाजपा-ममता को रोकें। क्योंकि इनके खिलाफ काफी आक्रोश है। परंतु राजद नेतृत्व ने इस मसले पर बिना कांग्रेस से कोई बात किए अपना फैसला ले लिया। शर्मा कहते हैं राजद का यह कदम अप्रत्याशित है। इस मसले पर राजद नेतृत्व से जल्द ही बात होगी।

वहीं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मदन मोहन झा कहते हैं राजद का यह फैसला थोड़ा चौंकाने वाला है। उम्मीद थी कि बिहार की तरह पश्चिम बंगाल में भी महागठबंधन एक होकर चुनाव मैदान में जाएंगे। मगर राजद-तृणमूल की निकटता बता रही है वे अलग राह चलना चाहते हैं। हम इस पर रोक नहीं लगा सकते हैं, लेकिन राजद की इस कदम से भाजपा को आगे बढऩे से रोकने में कुछ परेशानी जरूर आएगी। प्रभारी अध्यक्ष कौकब कादरी कहते हैं चुनाव में हर दल अपने समीकरणों के आधार पर कोई फैसला लेता है। बिहार में हम राजद के साथ थे तो हमसे एकबार बात अवश्य होनी चाहिए थी। अब आगे क्या होगा इसका फैसला तो केंद्रीय नेतृत्व को ही करना है।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *