बिहार में अब कोरोना के इलाज या जांच से मना करने पर जेल और जुर्माने का प्रावधान

Patna: प्रदेश में को’रोना को महा’मारी घोषित कर दिया गया है. अब इलाज या जांच से मना करने पर अस्पताल सहित चिकित्सकों पर कार्र’वाई होगी. को’रोना को लेकर सोशल मीडिया या अन्य किसी भी स्तर पर भ्र’म फैलाने वाले व्यक्ति जेल भेजे जाएंगे. सभी सरकारी और निजी अस्पताल में थर्मल स्क्रीनिंग अनिवार्य होगी. सरकारी-निजी अस्पतालों में फ्लू कॉर्नर बनेगा. संदिग्ध को आइसोलेशन वार्ड में बल’पूर्वक भी रखा जा सकेगा.

मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने द बिहार एपिडेमिक डि’जीज को’विड 19 रेगुलेशन 2020 की अधिसूचना जारी की. इसमें ये तमाम व्यवस्थाएं की गईं हैं. यह एक साल तक मान्य होगा. सरकार ने एपिडेमिक डिजीज एक्ट 1897 को आधार बनाया है. इसमें 6 माह कैद और एक हजार जुर्माना हो सकता है. राज्य समन्वय समिति की बैठक के बाद मुख्य सचिव दीपक कुमार ने कहा कि इस एक्ट के तहत सरकार किसी भी मॉल सहित निजी परिवहन को रोक सकती है. सरकार किसी भी व्यक्ति को रेल-बस यात्रा से भी प्रतिबंधित कर सकती है.

को’रोना वाय’रस से संक्र’मित 64 साल के एक बुजुर्ग की मंगलवार को मुंबई में मौ’त हो गई. देश में इसके मरीज की माैत का यह तीसरा मामला है. मंगलवार को को’रोना के 17 नए केस सामने आए. अब तक 154 मरीज हाे चुके हैं. इनमें से 14 ठीक हाे चुके हैं.

आपको बता दें कि अब निजी लैब को’रोना जांच के लिए अधिकृत नहीं होगा. सभी सैंपल की जांच भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार लैब में करायी जाएगी. स्कूल, कॉलेज, सरकारी दफ्तर बंद रखने का भी प्रावधान है. राज्य स्तर पर डायरेक्टर इन चीफ, जिला स्तर पर डीएम, सिविल सर्जन व एडिशनल चीफ मेडिकल ऑफिसर, अनुमंडल स्तर पर एसडीओ और मेडिकल ऑफिसर इनचार्ज संदिग्ध को आइसोलेशन वार्ड में भिजवाना सुनिश्चत करेंगे. जिलाधिकारी, सरकारी विभाग के अधिकारी व कर्मचारी को को’रोना में ड्यूटी पर लगा सकते हैं. यदि को’रोना की पुष्टि होती है तो गांव, शहर, क्षेत्र के सभी लोगों की जांच जिलाधिकारी कराएंगे. इसे फैलने से रोकने के बारे में डीएम ही निर्णय लेंगे.

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