बिहार में मास्क-सैनिटाइजर की कमी, कालाबाजारी करने पर 7 साल की जेल

Patna: देश में कोरोना वायरस मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए केंद्र सरकार ने हैंड सैनिटाइजर और मास्क ( दो लेयर, तीन लेयर, सर्जिकल मास्क और एन-95) को अवाश्यक वस्तु में शामिल करने की अधिसूचना जारी की है. अब अगर हैंड सैनिटाइजर और मास्क की कोई कालाबाजारी करता है, तो उस पर दोष सिद्ध होने पर सात साल तक की जेल हो सकती है.

इस समय देश में हैंड सैनिटाइजर और मास्क की कालाबाजारी के चलते कमी पैदा कर दी गई है. अब लोगों को आसानी से दोनों चीजें मिलेंगी. दूसरी तरफ, कोरोना वायरस का खतरा जारी रहा, तो जांच किट, उपकरण, सैनिटाइजर, मास्क आदि की कीमतों में इजाफा हो सकता है. हालांकि दवा की कीमतों पर फिलहाल इसका असर नहीं है. सैनेटाइजर और मास्क तो अब भी बाजार से गायब हैं. गिने-चुने मेडिकल शॉप में ऊंची कीमत वसूली जा रही है. हालांकि अभी डिस्ट्रीब्यूटर और लैब वालों के पास कुछ दिनों का स्टॉक है. स्टॉक खत्म होने पर उन किट, उपकरण और अन्य सामग्री की कीमत में 15 से 20 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है. विभिन्न बीमारियों की जांच के लिए चीन में निर्मित होने वाली किट, उपकरण, मास्क, सैनिटाइजर के अलावा पैथोलॉजिकल जांच की अधिकांश सामग्री का आयात बंद हो गया है.

शहर से मास्क और सैनिटाइजर गायब

राजधानी पटना सहित अन्य इलाकों के मेडिकल स्टोर से मास्क और सैनिटाइजर अभी भी गायब हैं. तीन और चार लेयर वाले ब्रांडेड मास्क कहीं नहीं मिल पा रहे हैं. कुछ स्टोर पर लोकल मास्क उपलब्ध तो है, पर उसे ज्यादा कीमत पर बेचा जा रहा है. आम तौर पर 15 से 20 रूपए कीमत वाले लोकल मास्क 90 से 150 रूपए तक में बेचे जा रहे हैं. चार लेयर वाले एन 95 मास्क के नाम पर भी लोकल मास्क 200 से 400 रुपए तक में बिक रहे हैं. ब्रांडेड मास्क थोक स्टोर में भी उपलब्ध नहीं है. थोक बाजार में अलग अलग अल्कोहल की मात्रा वाले सैनिटाइजर की भी भारी कमी हो गई है. दवा कारोबारियों के मुताबिक सैनिटाइजर की डिमांड छह गुना से भी ज्यादा बढ़ गई है पर आपूर्ति नहीं हो पा रही है.

सजा के प्रावधान से दूर होगी आवश्यक वस्तु की किल्लत

बिहार केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के पूर्व सचिव संतोष कुमार ने कहा कि हैंड सैनिटाइजर और मास्क को आवश्यक वस्तु में शामिल होने और सजा का प्रावधान होने से बाजार से इसकी किल्लत दूर होगी. वहीं, गीतांजलि लैब के डॉ. सुशांतो मुखर्जी का कहना है कि चीन में तमाम बीमारियों की जांच के लिए किट बनती है और वे सस्ती होती हैं. इसलिए इसका लैब वाले इस्तेमाल करते हैं. चीन से नहीं आ रही है तो अमेरिका या फिर अन्य देशों से किट खरीदी जा सकती है. जांच रेट नहीं बढ़ना चाहिए. रैनबैक्सी के फ्रेंचाइजी किशन खेमका का कहना है कि हमारे यहां चीन में निर्मित किट आदि इस्तेमाल नहीं होता. इसलिए हमलोगों के यहां रेट में कोई वृद्धि नहीं होगी. फार्मा डिस्ट्रीब्यूटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रदीप चौरसिया ने बताया कि मास्क और सैनिटाइजर की डिमांड बढ़ गई है. आपूर्ति नहीं होने से थोक बाजार में भी कमी है.

इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं के दाम में 20% तक की बढ़ोतरी

कोरोना वायरस का असर इलेक्ट्रानिक और इलेक्ट्रिक वस्तुओं पर भी पड़ने लगा है. इन वस्तुओं की कीमत में 15 से 20 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है. एक तो चीन से कम माल आ रही है और जद्दोजहद के बाद जो वस्तुएं आ रही है उसकी कीमत भी काफी अधिक हो गई है. इसा सीधा असर मोबाइल एसेसरीज, एलईडी, खिलौने, मेमोरी कार्ड, पेन ड्राइव समेत कई इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम पर दिख रहा है. चीन से एलईडी और दूसरी इलेक्ट्रिक वस्तु आयात करने वाले उदय कुमार सिंह बताते है कि चीन में जनवरी में एक माह की छुट्टी होती है, उसके बाद मैन्यूफैक्चरिंग की प्रक्रिया शुरु होती है, लेकिन इस बार कोरोना के कहर के बाद स्थिति बद से बदतर हो गई. एक तो चीन से आने वाली वस्तुएं कम हो गई. जो कुछ वहां से आ भी रहा है, उसकी कीमतें अधिक हो गई है. कस्टम में शिपमेंट छुड़ाने में भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. कारोबारियों का कहना है कि चाइनीज एसेसरीज का बाजार राजधानी में करीब 8 से 10 करोड़ का है.

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