कोर्ट ने दिया बेल, फिर भी बिहार पुलिस ने भेजा जेल, पटना हाई कोर्ट नाराज

PATNA : किशनगंज में चौदह वर्ष पूर्व ह’त्या के एक मामले में कोर्ट से बरी हो चुके शख्स को गिरफ्तार कर छह माह तक जेल में रखने का मामला सामने आया है। इस रोचक मामले की सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट के न्यायाधीश अश्वनी कुमार सिंह ने मामले में हाईकोर्ट प्रशासन और सिविल कोर्ट को पार्टी बनाने का आदेश दिया है। साथ ही राज्य सरकार से भी जवाब मांगा है।

न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार सिंह की एकलपीठ ने शमीम उर्फ़ तस्लीम की ओर से दायर आ’पराधिक अर्जी पर सुनवाई की। उनके वकील राजकुमार ने कोर्ट को बताया कि बहादुरगंज थाना कांड संख्या 73/2002 में आवेदक मो. शमीम अभियुक्त था। इस केस में पुलिस ने दो जुलाई 2003 को उसे कोर्ट में पेश किया और कोर्ट ने न्यायिक हिरासत में लेते हुए उसे जेल भेज दिया। इसके बाद 28 अगस्त 2003 को निचली अदालत के एक आदेश में उसे फरार दिखा दिया गया। बाद में इस आदेश को सुधार नहीं किया गया। इस बीच आवेदक को जेल से कोर्ट में पेश किया जाता रहा।

अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि 26 मई 2005 को मो. शमीम को निर्दोष करार देते हुए निचली अदालत ने बरी कर दिया। इसके करीब 14 वर्ष बाद पुलिस ने इसी वर्ष 28 जनवरी को उसे गिरफ्तार कर मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया। निचली अदालत ने उसे न्यायिक हिरासत में लेते हुए जेल भेज दिया। इस घटना के बाद निचली अदालत में अर्जी दायर कर न्याय की गुहार लगाई गई। निचली अदालत ने सारे रिकॉर्ड देखने के बाद गत 7 जून को जेल से छोड़ने का आदेश दिया।

इसके बाद आवेदक ने हाईकोर्ट में अर्जी दायर कर बेवजह जेल में रखने पर 25 लाख बतौर मुआवजा की मांग सरकार से की। कोर्ट ने इस मामले को देखने के बाद आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि यह काफी गंभीर मामला है। जब निचली अदालत ने उसे रिमांड पर लेकर जेल भेज दिया, फिर उसे बरी कर दिया तो कैसे उसे उसी केस में जेल भेजा गया। मामले पर अगली सुनवाई 27 सितम्बर को होगी।

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