राजनीति का “सचिन” और क्रिकेट का “राहुल”… दोनों ने हर चुनौती के लिए खुद को तैयार किया है

भारत की राजनीति को समझना है तो क्रिकेट की राजनीति को समझिए, सचिन तेंदुलकर राहुल द्रविड़ को भारत की टीम में लाए थे उन्होंने राहुल के कैरियर की शुरूआत में उन्हें कई बार भारत के भविष्य का कप्तान कहा था राहुल सचिन की टीम का अभिन्न हिस्सा थे सचिन सौरभ की जगह राहुल को ही कप्तान बनाना चाहते थे लेकिन राहुल कप्तानी अपनी शर्तों पर करना चाहते थे

राहुल का मानना था कि इस पद के लिए उनका अनुभव और योग्यता अभी कम है वो अभी उप कप्तान बनकर सीखेंगे और जिस दिन वो इसके लायक हो जाएंगे वो स्वयं कमान संभालेंगे , राहुल कि शैली सचिन और सौरभ के विपरीत थी राहुल एक परिपक्व और अनुशासित खिलाड़ी थे लेकिन वो जबरदस्त हार्ड टास्क मास्टर थे और स्वयं से ऊपर टीम को रखते थे यही उनकी सबसे बड़ी खूबी थी।

सचिन जब कप्तान थे तब वो ओपनिंग करते थे और राहुल तीसरे नंबर पर आते थे राहुल जब कप्तान बने तो सचिन और सौरभ की अनुपस्थिति में वो ओपन करने लगे और लेकिन सचिन औऱ सौरभ के वापिस आते ही तीसरे या 5 वे नंबर वापिस चले गए उन्होंने कभी भी अपने अहं को टीम के हित के आगे नही आने दिया उनके लिये टीम ही सबकुछ थी इसके विपरीत सचिन औऱ सौरभ की ओपनिंग को लेकर राहुल से कई बार बहस हुई औऱ राहुल ने इसे कभी निजी तौर पर नही लिया इसलिए वो टीम के लिए रोल मॉडल थे।

राजनीति के क्रिकेट में राहुल की टीम में भी सचिन एक अभिन्न हिस्सा थे राहुल गाँधी उन्हे भविष्य का नेता मानते थे वो सचिन को अपने कोर टीम का सदस्य मानते थे औऱ उन्हें नित नए चेलेंज देते थे जिसे सचिन जी जान से पूरी करने का प्रयत्न करते थे 2013 के विधानसभा चुनाव में शर्मनाक हार के बाद जब राहुल गाँधी ने उन्हें अध्यक्ष बनाया तो वो पूरी जी जान से राजस्थान कॉंग्रेस को खड़ा करने में लग गए औऱ 2018 में कांग्रेस को सत्ता के करीब ले आए ,राहुल सचिन को मुख्यमंत्री बनाने का बोल चुके थे लेकिन अशोक गेहलोत के लंबे राजनीतिक अनुभव और जोड़तोड़ में माहिर होने के कारण वो उपमुख्यमंत्री का पद भी स्वीकार कर गए क्योकि उनके लिए पार्टी (टीम) महत्वपूर्ण थी पद नही..यँहा भी उन्होंने राहुल की ओपनिंग करने की बात मान ली औऱ खुद पीछे चले गए

पाकिस्तान के बहुप्रतीक्षित दौरे के दौरान सौरभ जब एक टेस्ट मैच में घायल होने के कारण कप्तानी नही कर पाए तो राहुल ने अपनी कप्तानी में सचिन के 200 रन होने का इंतजार नही किया ओर उनके 194 के स्कोर पर ही पारी घोषित कर दी क्योंकि मैच में समय कम बचा था किसी के निजी माइलस्टोन के बजाय राहुल ने टीम की जीत को प्राथमिकता दी मुझे यकीन है अगर सचिन की जगह राहुल भी 194 पे होते तो वो पारी घोषित करने में एक पल के लिये भी नही सोचते..

आज राजस्थान में जो लोग सचिन को अवसरवादी औऱ बिका हुआ बोल रहे है वो लोग क्रिकेट और राजनीति के मूल सिद्धांत को नही जानते है लीडरशिप एक टैलेंट है जो हर किसी मैं नही होता है सचिन पायलट क्रिकेट के राहुल है और मुझे यकीन है कि वो जो भी निर्णय लेंगे टीम (पार्टी) के हित में ही लेंगे आज सचिन को लग रहा है की अगर आज उन्होनो अपनी टीम (पार्टी) के लिए कठोर निर्णय नही लिए तो उनकी टीम और देश दोनो हार जायँगे 🙏🙏

अपूर्व भारद्वाज (डाटावाणी – फ़ेसबुक से साभार)

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