शव जलाने के लिए पानी में बना मचान, कर्ता ने नाव पर सवार होकर दी मुखाग्नि, दरभंगा का वीडियो वायरल

PATNA : बाढ़ के पानी में डूबा है श्मशान घाट; शव लेकर नाव से पहुंचे, मचान बना उस पर माटी की कोठी में सजाई चिता : बाढ़ की भीषण स्थिति का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि कुशेश्वरस्थान पूर्वी प्रखंड के महिसाैत गांव में शव जलाने तक के लिए कहीं सूखी जमीन नहीं बची है। यहां लाेगाें की मृत्यु के बाद अंत्येष्टि भी मुसीबतों से भरा है। लेकिन, अंतिम विदाई में काेई कमी न रह जाए, इसलिए लाेग जोखिम भरे पर अनूठे इंतजाम भी कर रहे हैं। वीडियो देखने के लिए लिंक पर क्लिक करें VIDEO

साेमवार काे महिसाैत गांव में बाढ़ की सबसे भयावह किंतु, जीवट भरी एेसी ही तस्वीर सामने अाई। गांव के शिवनी यादव की मृत्यु हाे गई। लाेगाें काे संस्कार के लिए सूखी जमीन नहीं मिली। परिजनों के साथ ग्रामीणों ने भी तय किया कि अंतिम संस्कार श्मशान घाट पर ही करेंगे। क्याेंकि, वे मीडिया में लगातार शवाें काे अधजला फेंक देने और पानी में बहा देने की खबरों से विचलित थे। साथ ही इसी श्मशान में पूर्वजों का दाह संस्कार भी हुअा था।

इसलिए गाजे-बाजे के साथ नाव से शव यात्रा निकाली गई। श्मशान स्थल पर बांस का मचान बनाया। उसके ऊपर माटी की बनाई काेठी रखी, जिसमें गुजर-बसर के लिए धान, चावल और गेहूं सहेज कर रखते हैं। उस कोठी के अंदर सनातन विधि-विधान के साथ शव को रख लकड़ी, गोइठा अादि से चिता सजाई गई। ग्रामीणों की मदद से नाव से ही चिता की परिक्रमा अादि की गई। मृतक शिवनी काे बेटे रामप्रताप ने नाव से ही मुखाग्नि दी। रामप्रताप ने बताया कि अर्से से बीमार पिता के निधन के बाद ग्रामीणों के सहयोग से अंतिम विदाई संभव हुई।

मुझे इसकी कोई सूचना नहीं : अंचलाधिकारी : शिवनी यादव की माैत या दाह संस्कार की मुझे काेई जानकारी नहीं दी गई है। वैसे बाढ़ की परिस्थिति में हम कर भी क्या सकते हैं? -त्रिवेणी प्रसाद, सीओ, कुशेश्वरस्थान पूर्वी

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