नीतीश सरकार में मंत्री पद न मिलने से कई दिग्गज नाराज, गोपलागंज और दरभंगा-मधुबनी की बल्ले-बल्ले

Bihar Cabinet: दिल के अरमा आंसुओं में बह गए, मंत्री पद न मिलने से कई दिग्गज नाराज : करीब महीनेभर चली कवायद और कई दिनों की मैराथन बैठक के बाद आखिरकार मंगलवार को 17 नये चेहरे नीतीश मंत्रिमंडल का हिस्सा बने. नवंबर में नीतीश कुमार समेत 15 मंत्रियों ने शपथ ली थी, लेकिन मेवालाल चौधरी के इस्तीफे के बाद ये संख्या 14 रह गई थी. नीतीश मंत्रिमंडल में अब 31 सदस्य हैं.

बिहार विधानसभा में विधायकों की संख्या 243 है और नियम के मुताबिक 15 फीसदी यानी 36 मंत्री बन सकते हैं. नीतीश ने फिलहाल 5 मंत्रियों का पद खाली रखा है. मंत्रिमंडल विस्तार में जातीय और क्षेत्रीय समीकरण का खास ध्यान रखा गया है. सभी वर्ग के लोगों को हिस्सेदारी देने की कोशिश जरूर हुई है, बावजूद इसके मंत्री बनाये रखने की आस लगाए बैठे कई नेता नाराज हो गए हैं.

करीब महीने भर चली रस्साकशी के बाद जब मंगलवार की सुबह फाइनल लिस्ट जारी हुई तो कई चेहरे लटक गए. इस दौरान पटना से लेकर दिल्ली तक बैठकों और चर्चाओं का दौर चला. कई नाम उछले और कई लिस्ट में जगह बना पाने से चूक गए. अंतिम समय तक मंत्री बनने की आस लगाए बैठे कई दिग्गजों को निराशा हाथ लगी है. ज्यादतर नेताओं ने चुप्पी साध ली है लेकिन कुछ खुलकर अपनी नाराजगी जता रहे हैं और पार्टी आलाकमान पर अपनी भड़ास भी निकाल रहे हैं.

ऐसे दिग्गज जिनका नाम अंतिम लिस्ट में कट गया : मंत्रिमंडल में जगह नहीं बना सके नेताओं में सबसे बड़ा नाम जेडीयू के नीरज कुमार और महेश्वर हजारी का है जिन्हें इस बार मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली. बीजेपी से संजय सरावगी और नीतीश मिश्रा का नाम भी काफी जोर-शोर से चल रहा था.

पटना के दीघा से विधायक संजीव चौरसिया का मंत्री बनने का मंसूबा इस मंत्रिमंडल विस्तार में भी पूरा नहीं हो पाया. गोपालगंज से विधायक राम प्रवेश राय मंत्री बनकर नई पारी खेलने जा रहे थे लेकिन कप्तान की लिस्ट में वो जगह नहीं बना पाए. रामनगर से बीजेपी विधायक भागीरथी देवी भी उन निराश दिग्गजों की लिस्ट में शामिल हो गई हैं, जिनके नाम की काफी चर्चा थी.

इसी तरह बांका से विधायक रामनारायण मंडल को भी पार्टी से इनाम मिलने की उम्मीद थी जो पूरी नहीं हुई. बाढ़ से विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू के नाम की भी चर्चा थी लेकिन नितिन नवीन के मंत्री बनते ही उनकी उम्मीद भी खत्म हो गई. कुछ और भी नाम हैं, जिनकी काफी चर्चा थी. ऐसे नेताओं में मधुबनी के हरलाखी से विधायक सुधांशु शेखर, परबत्ता से विधायक संजीव सिंह, पूर्वी चंपारण से विधायक शालिनी मिश्रा, रुपौली से विधायक बीमा भारती, जमुई के झाझा से विधायक दामोदर रावत, वाल्मिकीनगर से धीरेंद्र कुमार सिंह उर्फ रिंकू सिंह और जेडीयू की एमएलसी कुमुद वर्मा का नाम शामिल है.

बीजेपी विधायक ने पार्टी अलाकमान के खिलाफ खोला मोर्चा : बीजेपी विधायक ज्ञानू ने पार्टी और वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. लिस्ट जारी होते ही बिहार के बाढ़ से विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने आरोप लगाया कि कुछ नेताओं ने बीजेपी को पॉकेट पार्टी बना दिया है. उन्होंने किसी का नाम तो नहीं लिया लेकिन उनका इशारा भूपेंद्र यादव और नित्यानंद राय की तरफ था. ज्ञानेद्र सिंह ज्ञानू ने कहा कि बीजेपी अब यादव और बनियों की पार्टी बनकर रह गई है.

ज्ञानू यहीं नहीं रुके, उन्होंने पार्टी को याद दिलाया कि राजपूत मतदाताओं ने एकजुट होकर बीजेपी के लिए वोट किया था लेकिन पार्टी ने ठाकुर जाति के लोगों की अनदेखी की है. ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने इसे सवर्ण विरोधी मंत्रिमंडल करार दिया है. उन्होंने दोनों उपमुख्यंत्रियों की योग्यता पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि ऐसे लोगों को डिप्टी सीएम की कुर्सी दी गई है जिन्हें कोई नहीं जानता. ज्ञानू ने आरोप लगाया कि पार्टी में एक लॉबी चल रही है और हमलोग चुप बैठने वाले नहीं हैं.

गोपलागंज और दरभंगा-मधुबनी की बल्ले-बल्ले : मंत्रिमंडल विस्तार में जातीय समीकरण ही नहीं बल्कि क्षेत्रवार प्रतिनिधित्व देने पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. बिहार में 38 जिले हैं लेकिन गोपालगंज से तीन मंत्री बनाए गए हैं. गोपालगंज से जनक राम, सुभाष सिंह और सुनील कुमार को मंत्री बनाया गया है. मंत्रिमंडल विस्तार में मिथिलांचल को भी ज्यादा प्रतिनिधित्व मिला है. दरभंगा से जीवेश कुमार मिश्रा पहले से मंत्री हैं और अब मदन सहनी को भी मंत्रिमंडल में जगह मिली है.

मधुबनी से शीला कुमारी पहले से मंत्री हैं और अब संजय झा को भी मंत्री बनाया गया है. बिहार विधानसभा चुनाव में मिथिलांचल इलाके में एनडीए को बड़ी जीत हासिल हुई थी. दरभंगा की 10 सीट पर एनडीए को 9 सीट मिली थी जो एक रिकॉर्ड है. गोपालगंज की 6 विधानसभा सीट में से एनडीए को 4 सीट मिली थी. ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि मौजूदा एनडीए की सरकार ने उन इलाकों को प्रतिनिधित्व दिया है जहां से उनके ज्यादा सदस्य जीतकर आए हैं. हालांकि मंत्रिमंडल विस्तार में छपरा और सीवान जैसे बड़े जिलों की अनदेखी पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं.

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