जहां नीतीश-शाह ने की रैली, उसी सीट पर बना सबसे बड़े हार का रिकॉर्ड
बुराड़ी सीट पर सबसे ज्यादा वोटों का अंतर88 हजार वोटों से, हारे जेडीयू नेता शैलेंद्र कुमार, केजरीवाल के सामने नहीं टिक सके नीतीश-शाह
दिल्ली की बुराड़ी सीट जेडीयू के खाते में जाने से स्थानीय स्तर पर बीजेपी के कार्यकर्ता नाराज थे. दरअसल, जनवरी के पहले हफ्ते तक इस सीट से बीजेपी नेता गोपाल झा दावेदारी ठोक रहे थे. लेकिन बीजेपी-जेडीयू में गठबंधन के तहत ये सीट जेडीयू के खाते में चली गई. इसका असर बीजेपी कार्यकर्ताओं के मनोबल पर पड़ा.
दिल्ली विधानसभा चुनाव में सीएम अरविंद केजरीवाल के लहर का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार और गृह मंत्री अमित शाह की साझा ताकत भी उनके सामने फीकी साबित हुई. नीतीश कुमार और अमित शाह का कैंडिडेट न सिर्फ केजरीवाल के प्रत्याशी के सामने चारों खाने चित हुआ बल्कि ये हार 2020 में दिल्ली की सबसे बड़ी हार बनकर इतिहास में दर्ज हो गई.
दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों का अगर हम पोस्टमार्टम करें तो हमारी निगाहें बुराड़ी विधानसभा सीट पर जाती है. इस सीट पर जेडीयू के प्रत्याशी शैलेन्द्र कुमार को आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी संजीव झा ने रिकॉर्ड 88158 वोटों से हराया. इस बार के दिल्ली विधानसभा चुनाव में ये सबसे बड़ी शिकस्त है.
खास बात ये है कि इस सीट पर जीत के लिए जेडीयू और बीजेपी ने कोई कसर नहीं छोड़ी. दिल्ली विधानसभा के लिए हुए समझौते के तहत बुराड़ी सीट जेडीयू के खाते में गई थी. जेडीयू ने इस सीट से संजीव झा को मैदान में उतारा था. संजीव झा के समर्थन में 2 फरवरी को बिहार के सीएम नीतीश कुमार और गृह मंत्री अमित शाह ने बुराड़ी में विशाल रैली की थी. लेकिन नीतीश-शाह की संयुक्त ताकत अकेले अरविंद केजरीवाल के आभा के सामने फीकी पड़ गई.
चुनाव आयोग से मिले आंकड़ों के मुताबिक बुराड़ी सीट पर संजीव झा को 1,39,368 वोट मिले, जबकि जेडीयू के कैंडिडेट शैलेंद्र कुमार को यहां पर 51 हजार 440 वोट मिले. इस सीट से राष्ट्रीय जनता भी चुनाव लड़ रही थी, लेकिन आरजेडी प्रत्याशी प्रमोद त्यागी को मात्र 2278 वोट मिले. यहां से शिवसेना कैंडिडेट ने अच्छा प्रदर्शन किया और पार्टी प्रत्याशी धरमवीर को 18 हजार 44 वोट मिले.
जेडीयू से एकजुटता दिखाते हुए बीजेपी के आला नेताओं ने नीतीश के उम्मीदवार को पूरा समर्थन दिया. रैलियां भी की, लेकिन इस सीट पर जमीनी हकीकत कुछ और थी. बुराड़ी सीट जेडीयू के खाते में जाने से स्थानीय स्तर पर बीजेपी के कार्यकर्ता नाराज थे. दरअसल, जनवरी के पहले हफ्ते तक इस सीट से बीजेपी नेता गोपाल झा दावेदारी ठोक रहे थे. लेकिन ऐन मौके पर ये सीट जेडीयू के खाते में चली गई. इसका असर बीजेपी कार्यकर्ताओं पर पड़ा और वे पूरे मन से जेडीयू प्रत्याशी के समर्थन में नहीं आ पाए. इसका नतीजा वोटों की कटौती के रूप में देखने को मिला.
2015 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की ओर से गोपाल झा ने AAP प्रत्याशी संजीव झा को टक्कर दी थी. हालांकि उस चुनाव में भी संजीव झा ने 67950 वोटों से गोपाल झा को पटखनी दी थी. बुराड़ी के स्थानीय लोगों का कहना है कि बतौर विधायक संजीव झा का कार्यकाल भी बेहतर रहा. उन्होंने लोगों की समस्याएं सुनी और काम भी किया. इसके अलावा जमीनी स्तर पर पूर्वांचल के लोगों में स्थानीय सांसद मनोज तिवारी को लेकर भी नाराजगी है. लोगों का कहना है कि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद मनोज तिवारी, पूर्वांचली होने के बाद भी स्थानीय स्तर पर कुछ नहीं कर सके हैं.