दिल्ली से ट्रायसाइकिल चलाकर पोलियोग्रस्त युवक पहुंचा बिहार, कहा-अब जीवनभर दिल्ली नहीं जाउंगा

नई दिल्ली. लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान 28 वर्षीय युवक ने दिल्ली-यूपी सीमा पर स्थित गाजीपुर से बिहार की दूरी दो सप्ताह में तय कर ली. पोलियोग्रस्त युवक (Polio) जिसका बायां हाथ काम नहीं करता है, उसने अपने दाएं हाथ से ट्राइसाइकिल चलाकर यह सफर पूरा किया है. वह हर रोज करीब 50-60 साल की दूरी अकेले दम पर तय करके बिहार के गोपालगंज पहुंच गया. यूपी-बिहार बॉर्डर को क्रॉस करते ही जब जुबैर नाम का यह युवक गोपालगंज चेक पोस्ट पर पहुंचा तो तो वह पस्त हो चुका था, लेकिन घर पहुंचने का सुकून उसके चेहरे पर साफ देखा जा सकता था.

दिल्ली में फिश मार्केट में काम करते ​थे जुबैर : अंग्रेजी अखबार इंंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, दिल्ली-यूपी सीमा पर गाजीपुर से बिहार के गोपालगंज की में दूरी तय करने में 28 साल के युवक को करीब दो सप्ताह का समय लगा. जुबैर ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि वह कभी दिल्ली नहीं लौटेगा. वह दिल्ली में नौकरी की तलाश में दो महीने पहले ही आया था. जुबैर दिल्ली के गाजीपुर मंडी में ​मछली काटने का काम करता था. उसे हर दिन की दिहाड़ी 200 रुपये मिलती थी, लेकिन लॉक डाउन के बाद मंडी बंद होने के बाद उसके पास काम नहीं था, इसलिए वह वापस घर लौट आया.

23 अप्रैल को अररिया के लिए चले थे जुबैर : जुबैर ने बताया कि पहले लॉकडाउन के एक्सटेंशन के बाद, उनके पास पैसे नहीं बचे हैं. यही वजह है कि जुबैर ने 23 अप्रैल को अपने घर अररिया जाने के लिए सफर की शुरूआत की. वे अपने साथ कुछ पीटा हुआ चावल, गुड़ और नमकीन का पैकेट रखा और अररिया के लिए चल पड़े. दो हफ्ते के सफर के बाद पूरी तरह पस्त हो चुके जुबैर को अब प्रवासी मजदूर के तहत पंजीकरण हो जाने की उम्मीद है. वह अब यह चाह रहा है कि उसे ट्राइसाइकिल के साथ अररिया भेज दिया जाए.

गोपालगंज में छह राज्यों के लोग इंतजार कर रहे हैं : गोपालगंज चेक पोस्ट के आसपास के क्षेत्र में दिल्ली, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश से लौटे प्रवा​सी घूम रहे हैं. गोपालगंज बिहार के 38 में से 25 जिलों के लोगों के लिए प्रवेश द्वार है.

यहां इन जिलों के लोग बस के इंतजार में हैं : अधिकांश प्रवासियों में अररिया, कटिहार, सुपौल, मधेपुरा, सहरसा, समस्तीपुर, किशनगंज, पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण के लोग शामिल हैं. कुछ लोगों का कहना है कि उन्होंने ट्रकों से लिफ्ट लेकर पैदल यात्रा की है. कई लोग मोटरसाइकिल पर आए हैं और बहुत सारे लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने कारों में सवारी के लिए बड़ी रकम का भुगतान किया है.

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