परिजन बोले- आंटी जी ताला खोल देतीं तो नहीं जाती 38 जा’नें

आंटी जी चौथी मंजिल का ताला खोल देतीं तो नहीं जाती बिहार की 38 जा’नें

फैक्ट्री में आ’ग लगने के बाद इमारत पूरी तरह गै’स चैं’बर में तब्दील हो गई थी। यह खुलासा अस्पताल में भर्ती पी’ड़ितों और उनके परिजनों ने किया है। इस हा’दसे में घा’यल मो. शाहिद, मो. मन्नान, मो. असलम, मो. शाहेद ने बताया कि पांच मंजिलें मकान की दूसरी मंजिल पर खिलौना और तीसरी मंजिल पर बैग की फैक्ट्री चलती थी। जहां देर रात तक सिलाई का काम होता है। रात में वहीं कारीगरों का सोना भी होता है।

उन्होंने बताया- चौथी मंजिल पर एक आंटी का परिवार रहता था। ऊपरी मंजिल पर आने-जाने के लिए एक ही पतली सीढी थी। विकट स्थिति में मकान से बाहर निकलने के लिए दूसरा कोई रास्ता भी नहीं था। आ’ग खिलौने की फैक्ट्री में दूसरी मंजिल पर लगी थी। जिससे तीसरी मंजिल पर चारों ओर धुआं भर गया। लोग ऊपर की ओर भागे, पर ऊपरी मंजिल पर रह रही आंटी ने दरवाजा नहीं खोला। वह आ’ग लगते ही ताला बंद कर परिजनों के साथ छत पर चली गई। इससे अधिकतर लोगों का द’म घु’ट गया। अगर आंटी किवाड़ खोल देतीं तो बिहार की 38 जिंदगियां बच सकती थीं।

घटना की सूचना पर दिल्ली गए समस्तीपुर की हरिपुर पंचायत के समिति सदस्य मो. मजीबुल मंगलवार को अपने गांव के दो युवकों (मो. खालिद व एहसान, सिघिंया) का शव लेकर लौ’टे। मजीबुल समेत तमाम परिजनों ने बताया कि वह उस मंजिल में भी गए, जहां आग लगी थी। ऊपर चढ़ने के लिए मकान में पतली सीढ़ी थी। वहां काफी अंधेरा था। सीढ़ी चढ़ते हुए अगर कोई ऊपर से आए तो दोनों आपस में रगड़ खाकर आगे बढ़ेंगे।

बिहार के 38 श्रमिकों में से 35 के श’व एंबुलेंस के जरिये उनके घर भेजे गए हैं। बिहार भवन के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी शैलेंद्र कुमार ने बताया कि हादसे में मा’रे गए 43 लोगों में से 38 बिहार के थे। 35 श’वों को लेकर एंबुलेंस दिल्ली से रवाना हुईं। हर एंबुलेंस में एक या दो शव और साथ में रिश्तेदार हैं। उन्हाेंने कहा कि हा’दसे में म’रे तीन व्यक्तियों के श’व अभी भेजे जाने बाकी हैं। उनके परिवार के सदस्यों के दिल्ली आने का इंतजार है।

मंगलवार शाम हरिपुर गांव के मो. खालिद व अहसान का श’व दिल्ली से एंबुलेंस से सिंघिया पहुंचा। शाम में दोनों श’वों को ग्रामीणों ने दफना दिया। ग्रामीणों ने बताया कि कि दस और श’व देर रात तक सिंघिया पहुंचने की उम्मीद है। जिसे सुबह नौ बजे दफनाया जाएगा। उधर, गांव में श’व लेकर ऐंबुलेंस के पहुंचते ही गांव की महिलाओं के बीच ची’ख शुरू हो गई। गांव के बुजुर्ग सभी को संभालने का प्रयास कर रहे थे। शव देख अहसान की मां बे’होश हो कर गिर पड़ी।

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