तेजस्वी को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की मांग, 42 दिनों के अज्ञातवास के बाद पटना लौटे लालू के लाल

42 दिनों के अज्ञातवास या यों कहे कि कोप भवन से बाहर निकल नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी पटना लौट आए। राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद पार्टी पर एकाधिकार की उनकी चाहत के दबाव में नहीं आए। राज्य की नई राजनीतिक फिजां में फिलहाल पार्टी की कमान लालू अपने हाथ से बाहर करना नहीं चाहते हैं। और तो और विधानसभा के बीते बजट सत्र में तेजस्वी द्वारा नेता प्रतिपक्ष की भूमिका का निर्वाह नहीं करने से खिन्न लालू प्रसाद के पुराने सहयोगी अब उनको विकल्प खोजने की सलाह देने लगे थे। पहले ही नेता प्रतिपक्ष के रूप में अच्छी भूमिका निभा चुके अब्दुल बारी सिद्दीकी का नाम भी उनके समक्ष पेश किया जा रहा था। पार्टी सूत्रों की मानें तो नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर सवाल उठता देख तेजस्वी ने फिर से बिहार लौटने का मन बनाया और मंगलवार रात की फ्लाइट से पटना लौट आए।

आरक्षण पर संघ और भाजपा की मंशा ठीक नहीं : तेजस्वी रात के अंधेरे में पटना पहुंचे तो पत्रकारों ने राजद अध्यक्ष के रूप में ताजपोशी की बावत सवाल किया, पर वे टालते हुए गाड़ी में बैठ गए। इतने दिनों तक पटना से गायब रहने और पार्टी के मामलों पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर कहा- आरएसएस और भाजपा की आरक्षण को लेकर मंशा ठीक नहीं है। ‘सौहार्दपूर्ण माहौल’ की नौटंकी में आरक्षण छीन लेने की योजना में भाजपा काफी आगे बढ़ चुकी है। 5 दिन पहले ही राजद की सदस्यता अभियान को लेकर बुलाई गई बैठक उनके इंतजार में दो दिनों तक टाली गई थी।

इधर, राजद विधायकों ने लालू प्रसाद को हटाकर तेजस्वी यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की मांग की है। विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा कि अब वक्त आ गया है, तेजस्वी को पार्टी की कमान मिल जानी चाहिए। राजद का हर विधायक चाहता है कि तेजस्वी के हाथ में पार्टी की बागडोर हो। वहीं विधायक कुमार सर्वजीत, विजय प्रकाश व पार्टी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने भी कहा कि तेजस्वी युवाओं की चाहत हैं। उनके नेतृत्व में ही राजद राज्य की अगली राजनीतिक लड़ाई में कूदे।

स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने राजद नेता तेजस्वी यादव के आरक्षण को लेकर किए गए ट्वीट पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि तेजस्वी पहले खुद लोकतंत्र और संविधान को समझने की कोशिश करें, फिर आरक्षण का राग अलापें। खुद तो संवैधानिक पद का निर्वहन नहीं कर पा रहे और लोगों को आरक्षण का पाठ पढ़ाने चले हैं। आरक्षण की व्यवस्था जस की तस है। इसलिए आरक्षण के नाम पर जनता को गुमराह करने की बजाय बिहार आकर जनता का सामना कीजिए।

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