देश में कहीं आने-जाने, रहने का अधिकार किसी से छीना नहीं जा सकता : सुप्रीम कोर्ट

देश में कहीं आने-जाने, रहने का अधिकार किसी से छीना नहीं जा सकता: सुप्रीम कोर्ट, पुलिस की ओर से जारी पत्रकार का निर्वासन आदेश कोर्ट ने रद्द किया = सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हर किसी को देश में कहीं भी आने-जाने और रहने का अधिकार है। बेहद मामूली आधार पर किसी से भी यह अधिकार छीना नहीं जा सकता। किसी को निर्वासित करने जैसी कार्रवाई ठोस आधार पर असाधारण मामलों में ही की जानी चाहिए। जस्टिस इंदिरा बनर्जी और वी रामासुब्रह्मण्यन की बेंच ने शनिवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।

बेंच के पास महाराष्ट्र के एक पत्रकार रहमत खान की याचिका सुनवाई के लिए आई थी। रहमत खान को अमरावती के पुलिस उपायुक्त जोन-1 ने निर्वासित कर दिया था। पुलिस ने आदेश दिया था कि शहर छोड़ने की तारीख से एक साल तक रहमत न शहर या उपनगरीय क्षेत्र में घुस सकते हैं, न ही वहां वापस आ सकते हैं। शीर्ष कोर्ट ने इस निर्वासन आदेश को रद्द कर दिया। खान ने शीर्ष अदालत में दलील दी कि उन्होंने अमरावती जिले के मदरसों में अनियमितताओं का पता लगाया था। सरकारी मशीनरी की मिलीभगत से वहां जनता के पैसे का दुरुपयोग हाे रहा था। इसकी उन्होंने पुलिस और जिला प्रशासन से शिकायत की।

जान का खतरा, सुनवाई वर्चुअल ही हो: अंसारी
उत्तर प्रदेश की मऊ विधानसभा सीट से बसपा विधायक मुख्तार अंसारी ने यूपी सरकार से जान का खतरा बताते हुए कोर्ट में हाजिर होने से इनकार किया है। फर्जी एंबुलेंस मामले में बाराबंकी कोर्ट में वर्चुअल सुनवाई के दौरान मुख्तार अंसारी ने गुहार लगाई कि मेरी सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से ही कराई जाए। फिलहाल, कोर्ट ने 9 सितंबर को सुनवाई की अगली तारीख तय की है।

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