देवोत्थान एकादशी कल, जागेंगे देव, होगी शालिग्राम की शादी

देवोत्थान एकादशी शुक्रवार 8 नवंबर को है। क्षीरसागर में सोए भगवान विष्णु चार माह उपरांत जागेंगे। इसके बाद से सभी तरह के वैवाहिक व मांगलिक कार्य शुरू हो जाऐंगे। पंडितों के अनुसार 19 नवंबर से शादी-विवाह के मुहूर्त शुरू हो जाएंगे। देवोत्थान एकादशी के दिन उपवास के बाद रात में शालिग्राम भगवान की पूजा-अर्चना की होगी। घरों में महिलाएं चावल को पीसकर अर्पण बनाकर रंगोली चौक बनाती हैं अौर उस पर ईंख खड़ा किया जाता है।

रंगोली में किसानों के उपयोग में लाई जाने वाली सामग्री जैसे चौकी, सीकर, हर, बैल, बैलगाड़ी, पाला, खंती, कुदाल, मवेशी घर, अन्न भंडार घर आदि बनाए जाते हैं। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को तुलसी पूजन का उत्सव मनाया जाता है। तुलसी विवाह कराने से कन्यादान का फल की प्राप्ति होती है। तुलसी को विष्णुप्रिया भी कहते हैं। नवमी, दशमी, एकादशी का व्रत पूजन कर अगले दिन तुलसी का पौधा दान देना शुभ होता है। परंतु कुछ लोग एकादशी से पूर्णिमा तक तुलसी पूजन करके पांचवें दिन तुलसी का विवाह करते हैं।

ईख 20 रुपए, शकरकंद 60 रु. किलो की दर से बिका
रविवार को लोहियापुल पुल समेत मुख्य बाजार में लोगों ने ईंख, शकरकंद, कन्ना (कच्चू) सेव, नारंगी, भगवान के लिए तोशक, रजाई, चादर, जनेऊ सहित अन्य पूजन समग्री की खरीदारी की। गुड़ 40 रुपये किलाे, शकरकंद 60 रुपए, सुथनी 80 रुपए किलो, ईंख 20 रुपए पीस सहित अदरक-हल्दी गाछ, जनेऊ, फलों आदि की खरीदारी की।

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