DGP गुप्तेश्वर पांडेय बोरा पर बैठकर करते थे पढ़ाई, मनु महाराज को मैथ टीचर ने कहा था UPSC करने को

पटना : देश के प्रथम उपराष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्ण के जन्मदिवस को पूरा देश शिक्षक दिवस के रूप में मना रहे हैं। सभी अपने-अपने गुरुओं को याद कर रहे हैं और अपना-अपना अनुभव भी साझा कर रहे हैं। ऐसे में बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने अपने गुरुओं के प्रति आभार प्रकट किया और अपने छात्र जीवन की बातें साझा की। बक्सर जिले के गेरुआ गांव निवासी गुप्तेश्वर पांडेय ने बताया कि वह गांव के प्राथमिक विद्यालय में बोरे पर बैठकर पढ़ाई करते थे। उनके गुरु जी खटिया पर बैठते थे। वहीं दूसरे गुरु जी विंध्याचल दुबे अनुशासन के पक्के थे। बाद में बगल के गांव स्थित माध्यमिक विद्यालय में गया। जहां रामनारायण साव जी से ईमानदारी और एकाग्रता का पाठ सीखा। पटना यूनिवर्सिटी के कॉलेज पहुंचा तो संबंध कुछ व्यवसायिक हो गए। पर डा उमाशंकर शर्मा ऋषि और डा रामबिलास चौधरी का स्नेह आजतक नहीं भूल सका। इन गुरुजनों की शिक्षा से बोरा पर बैठकर पढ़ते हुए आज यहां तक पहुंचा हूं। आज शिक्षा पद्यति का व्यवसायिकरण हो चूका है जिससे शिक्षक और छात्र के बीच संबंधों में प्रगाढ़ता काफी हद तक खत्म हो चुकी है। दोनों के बीच भावनात्मक संबंधों का अभाव बच्चों के चरित्र निर्माण में बाधक बन रहा है।

चरित्र निर्माण नहीं हो तो शिक्षा का मतलब नहीं : राज्य के पुलिस महानिदेशक गुप्तेशवर पांडे ने आज शिक्षा में बढ़ रही व्यवसायिकता और गिरते मूल्यों पर गंभीर चिंता जताई है। डीजीपी ने कहा कि चरित्र निर्माण न हो तो शिक्षा का मतलब नहीं रह जाता। शिक्षा में नैतिकता का समावेश बेहद आवश्यक है। छात्रों के चरित्र निर्माण के साथ संस्कार और संस्कृति पर भी ध्यान देने की ज़रूरत है। इसके लिए आज फिर उस गुरु शिष्य परंपरा को अपनाना होगा जिसमें मूल्यों की इज्जत हो। गुरु मूल्यों के प्रति समर्पित हों और शिक्षा भी मूल्यों पर आधारित हो। पांडे ने कहा कि शिक्षक को गुरु की भूमिका में आना होगा। मन में गुरु का भाव होगा तो उसे शिष्यों की श्रद्धा और सम्मान मिलेगा।

मनु महाराज ने भी बताया अपने जीवन में गुरु का महत्व : मुंगेर के डीआईजी मनु महाराज ने बताया कि केंद्रीय विद्यालय चंबा हिमाचल प्रदेश के गणित शिक्षक अनिल शर्मा उनके लिए प्रेरणा स्त्रोत रहे। गणित शिक्षक अनिल शर्मा हमेशा उन्हें सिविल सर्विस की तैयारी करने के लिए प्रोत्साहित करते थे। शिक्षक अनिल शर्मा हमेशा उन्हें कहा करते थे कि तुम सिविल सर्विस के लिए ही बने हो। किसी और चीज पर ध्यान न देकर सिर्फ और सिर्फ इसी की तैयारी करो। उनके प्रेरणा और प्रोत्साहन से ही दसवीं क्लास से ही उन्होंने भी सिविल सर्विस में ही जाने की ठानी और आज बतौर आईपीएस देश की सेवा कर रहे हैं। जब-जब भी कुछ उपलब्धि हासिल होती है अपने शिक्षक अनिल शर्मा का ध्यान एक बार जेहन में जरुर आता है।

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