पटना की सड़कों पर अब नहीं चलेगी डीजल वाली ऑटो, CM नीतीश कुमार ने लिया बंद करने का फैसला, बिल पास
पटना नगर निगम क्षेत्र की सड़कों पर 31 जनवरी 2021 की अाधी रात से नहीं दाैड़ेंगे डीजल से चलने वाले ऑटो, प्रदूषण पर नियंत्रण की कवायद : 15 साल से पुराने व्यावसायिक वाहनाें के परिचालन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने पर कैबिनेट ने भी लगाई मुहर
राजधानी पटना और आसपास के इलाके में बढ़ते प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए पटना नगर निगम क्षेत्र के साथ दानापुर, फुलवारीशरीफ और खगौल नगर परिषद क्षेत्र में 15 वर्ष से अधिक पुराने व्यावसायिक वाहनों के परिचालन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है। बुधवार को कैबिनेट ने भी इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इसके अलावा यह फैसला भी लिया गया कि पटना नगर निगम क्षेत्र में डीजलचालित ऑटो पर 31 जनवरी 2021 की मध्य रात्रि जबकि 31 मार्च 2021 की मध्य रात्रि से खगौल, दानापुर, फुलवारीशरीफ के शहरी क्षेत्र में एेसे ऑटो के चलाने पर रोक लग जाएगी। सरकार ने बिहार स्वच्छ ईंधन योजना 2019 के तहत ऐसे वाहन मालिकाें काे अपने अाॅटाे काे सीएनजी किट रेट्रोफिटिंग में बदलने या बैट्रीचालित वाहन खरीदने का विकल्प दिया है। इसके लिए हर वाहन मालिक को राज्य सरकार 20 हजार से 40 हजार रुपए तक सब्सिडी देगी। इसके लिए तत्काल 30 करोड़ रुपए रखे गए हैं। इस योजना का लाभ पेट्रोल चालित ऑटो मालिकों को भी मिलेगा।
पटना व आसपास में अभी 10 हजार से अधिक हैं डीजलचालित आॅटो
कैबिनेट विभाग के प्रधान सचिव डॉ. दीपक प्रसाद और परिवहन सचिव संजय अग्रवाल ने बताया कि पटना और आसपास में डीजल ऑटो की संख्या 10 हजार से अधिक है। प्रतिबंधित इलाकों के अलावा दूसरे स्थानों पर अभी ऐसे वाहन चल सकते हैं। मुजफ्फरपुर और गया में भी प्रदूषण स्तर के आंकड़े जुटाए जा रहे हंै। राज्य में 15 साल पुराने सरकारी वाहनों पर तत्काल प्रभाव से रोक के बाद सभी आयुक्तों और डीएम से उनके यहां ऐसे सभी वाहनों की जानकारी मांगी गई है। इन वाहनों को सीधे स्क्रैप के रूप में बेच दिया जाएगा। इसके लिए केंद्र की स्क्रैप पॉलिसी की तर्ज पर पॉलिसी बनाई जाएगी।
उत्तर भारत में प्रदूषण पर नियंत्रण के कदम उठाने में नाकाम सरकारी अधिकारियाें काे बुधवार काे सुप्रीम काेर्ट ने फटकार लगाई। काेर्ट ने कहा कि अगर सरकाराें काे लाेगाें की चिंता नहीं है ताे उन्हें सत्ता में रहने का काेई अधिकार नहीं है। काेर्ट ने पंजाब, हरियाणा अाैर उत्तरप्रदेश में पुअाल नहीं जलाने वाले छाेटेे अाैर सीमांत किसानाें काे सात दिन में 100 रुपए क्विंटल की दर से मदद देने का सरकाराें काे निर्देश दिया।
जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने पिछली सुनवाई में किसानाें पर दिखाए सख्त रुख से यू-टर्न लेते हुए कहा कि कृषि देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। किसानाें के हिताें का ध्यान रखना सरकार का कर्तव्य है। उन्हें पुअाल जलाने से राेकने के लिए मशीनें मुहैया करवानी चाहिए। तीनाें राज्याें के मुख्य सचिवाें काे फटकार लगाते हुए काेर्ट ने कहा कि यह दिल्ली-एनसीअार के कराेड़ाें लाेगाें के जीवन-मरण का प्रश्न है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि काेई गरीब की चिंता नहीं कर रहा।