सावधान : पटाखा छोड़ने की जगह पर बाल्टी में भर कर रखें पानी, लूज कपड़ा नहीं पहनें

दीपावली के मौके पर लाख पाबंदी लगे लोग पटाखा फोड़ते ही हैं। बच्चे तो पटाखे फोड़ने के लिए इस दिन का इंतजार करते हैं। पर पटाखा फोड़ते समय थोड़ी सावधानी जरूरत बरतना चाहिए। वैसे इस बार पटना में ग्रीन पटाखा उपलब्ध नहीं है। इसलिए लोग वहीं पटाखे फोड़ेंगे जो वर्षों से बाजार में दीपावली के मौके पर बाजारों में उपलब्ध होते हैं। बच्चे जब पटाखा फोड़ें तो अभिभावक जरूर वहां मौजूद रहें। दैनिक भास्कर ने सावधानी बरतने के लिए पीएमसीएच के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के हेड और प्राचार्य डॉ. विद्यापति चौधरी, नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. सुनील कुमार सिंह और डॉ. सुभाष प्रसाद से बातचीत की।

एक्सपर्ट ने बताए एहतियात, ताकि शुभ ही शुभ हो दीपावली : बच्चे जब पटाखा फोड़े तब वहां अभिभावक जरूर मौजूद रहे, पटाखा फोड़ते समय एक बाल्टी पानी जरूर रखें, जलने पर उस पर पानी डालें, लूज कपड़ा नहीं पहने, लूज कपड़ा में जल्द अाग पकड़ने की आशंका रहती है, बच्चों को तेज अावाज वाले पटाखे नहीं फोड़ने दें, हाथ में अनार या चकरी, राकेट अादि नहीं छोड़े, राकेट छोड़ना ही है तो बोतल में रखकर दूर से अाग लगाएं.

जलने पर मलहम और दर्द निवारक दवा दें, जलन कम नहीं हो तो तुरंत पास के अस्पताल में इलाज कराएं, पटाखों से फासफोरस, सल्फर, पोटाशियम जैसी जहरीली गैस निकलती है, यह अांखों को नुकसान पहुंचा सकती है, पटाखों निकलने वाले तेज प्रकाश से नाजुक पुतलियों को नुकसान पहुंच सकता है, अांखों में पटाखा का धुअां चला जाए तो उसे साफ पानी से ठीक से धोएं.

पटाखों में तीन-चार फीट दूर से अाग लगाएं, पटाखें को बंद डिब्बा या मटके में रखकर नहीं फोड़े, पटाखा फोड़ते समय ऊनी और सिल्क के कपड़े नहीं पहने, पटाखों का बारूद आंख में जाने पर कुछ लोग घी का प्रयोग करते हैं। आंख में घी कतई न डालें। घी तो आंख की अंदर, की नमी सोखता है। फिर आंख सूख जाती है। दीपावली पर दुर्घटना का शिकार आंख को बचाने का घरेलू उपाय है, दो दवाओं का प्रयोग

अार्टिफिशियल टीयर्स और एंटीबायोटिक प्लेन आई ड्रॉप रखें, फटने वाले पटाखे न चलाएं, ये पटाखे हाथ में फट जाते हैं। कोई पटाखा फुस्स करके रह जाता है, पटाखे से आंखों में चिंगारी गई है तो फौरन आंखों को पानी से धोएं और जल्द से जल्द अस्पताल जाएं, अगर कॉन्टैक्ट लेंस लगाते हैं तो दिवाली वाले दिन बिल्कुल न लगाएं और आंखों को पटाखों की तेज रोशनी से भी बचाएं, आंखों में चिनगारी या बारूद चला जाए तो उसे बिल्कुल न मलें, फौरन धो लें और चिकित्सक से संपर्क करें.

शहर में उपलब्ध नहीं ग्रीन पटाखा : शहर में 30 से अधिक बड़ी दुकानों में ग्रीन पटाखा का जायजा लिया गया, लेकिन किसी दुकान में यह उपलब्ध नहीं है। पटाखा कारोबारी सुरेंद्र सिंह ने बताया कि अबतक ग्रीन पटाखा नहीं आया है। पटना सिटी के थोक पटाखा विक्रेताओं ने भी कहा कि इस साल ग्रीन पटाखा बाजार में उपलब्ध नहीं है। अगले साल से इसके आने की उम्मीद है। ग्रीन पटाखा जलने से प्रदूषण कम होता है। इससे आपकी दीपावली का मजा भी कम नहीं होता। ग्रीन पटाखा दिखने, जलाने और आवाज में सामान्य पटाखों की तरह ही होते हैं। ये जलने पर 50% तक कम प्रदूषण करते हैं।

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