नवरात्रि 2019 : क्या आप जानते हैं कैसे हुआ देवी दुर्गा का जन्म और कहां से मिली इतनी शक्तियां

Do you know how Goddess Durga was born and where she got so many powers : आदिशक्ति माता दुर्गा की आराधना को समर्पित शारदीय नवरात्रि इस वर्ष 29 सितंबर दिन रविवार से प्रारंभ हो रही है। इस बार शारदीय नवरात्रि 9 दिन की है। पहले दिन यानी 29 सितंबर को विधि विधान से घट या कलश स्थापना होगा। उसके बाद से नवरात्रि के व्रत प्रारंभ होंगे। इन 9 दिनों में माता के 9 स्वरुपों की पूजा-अर्चना की जाएगी। इस बार दशहरा या विजयादशमी 08 अक्टूबर को है। नवरात्रि के व्रत और पूजा के लिए विशेष तैयारियां करनी होती हैं। घट स्थापना के लिए कलश, धूप, दीप, मौली, कपूर, नैवेद्य, माता की मूर्ति या तस्वीर, गाय का घी, शहद, शक्कर, लाल चुनरी, फल आदि की व्यवस्था करनी होती है।

नौ दिनों तक माता दुर्गा के भक्त उनकी पूजा-आराधना में लीन रहेंगे। शारदीय नवरात्रि में माता दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाएगी। लेकिन क्या आप जानते है किन विशेष परिस्थितियों में मां दुर्गा को जन्म लेने पड़ा। पौराणिक कथाओं के अनुसार माँ दुर्गा का जन्म राक्षसों का नाश करने के लिए हुआ था। दैत्यराज ने वरदान में मिली अपनी शक्तियों का गलत इस्तेमाल कर सभी देवी-देवताओं को परेशान कर रखा था। तब सभी देवी-देवता इस राक्षस से बचने के लिए ब्रह्राा जी के पास पहुंचे। देवताओं की समस्या को सुनकर तब ब्रह्मा जी ने बताया कि दैत्यराज का अंत किसी कुंवारी कन्या के हाथों से ही संभव है।

तब सभी देवता ने मिलकर अपने तेज से देवी के विभिन्न अंगों का निर्माण किया। भगवान शंकर के तेज से देवी का मुख प्रकट हुआ, यमराज के तेज से केश, विष्णु के तेज से भुजाएं, चंद्रमा के तेज से वक्ष, इंद्र के तेज से कमर, वरुण के तेज से जंघा, पृथ्वी के तेज से नितंब, ब्रह्मा के तेज से चरण, सूर्य के तेज से दोनों पौरों की ऊंगलियां, प्रजापति के तेज से सारे दांत, अग्नि के तेज से दोनों नेत्र।

देवी देवताओं ने प्रदान किए अस्त्र : देवी की शरीर संरचना के बाद सभी देवी-देवताओं ने अलग-अलग शक्तियां भी दी। शिवजी ने शक्ति को त्रिशूल दिया वही विष्णु ने चक्र तो लक्ष्मीजी ने कमल का फूल दिया। इसके अलावा अग्नि ने शक्ति व बाणों से भरे तरकश, प्रजापति ने स्फटिक मणियों की माला, वरुण ने दिव्य शंख, हनुमानजी ने गदा, शेषनागजी ने मणियों से सुशोभित नाग, इंद्र ने वज्र, भगवान राम ने धनुष, वरुण देव ने पाश व तीर, ब्रह्माजी ने चारों वेद तथा हिमालय पर्वत ने सवारी के लिए सिंह प्रदान किया। इसके अलावा मां दुर्गा की 18 भुजाओं में विभिन्न देवी देवताओं ने अपने आभूषण भेंट किये।

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