डॉक्टर रूपी देवी मां को नमस्कार, कोरोना के कारण ​175 डाक्टर हुए शहीद

महामारी कोरोना के समतल होते ग्राफ के बीच, शक्तिस्वरूपा देवी की आराधना का काल ‘नवरात्रि’ गुरुवार को हवन के साथ संपन्न हो जाएगा। सालभर के अंतराल के बाद यह उत्सवी माहौल आया तो गुजरे दिनों को भूल लोग बेखौफ होकर निकले। लेकिन पूजा पंडालों ने उन दिनों की यादें ताजा कर दीं। जान तक गंवाकर कोरोना को काबू में करने वाले डॉक्टरों को देवी मां की प्रतिमूर्ति माना। राक्षसी महामारी के कारण क्वारेंटाइन की यादें ताजा कीं। वैक्सिनेशन के महत्व को दर्शाया। कुल मिलाकर संदेश साफ है… भूलें नहीं, याद करें। किसे? महामारी से जुड़ी हिदायतों को, दुर्दिन की दास्तानों को। हमारी जान बचाने में अपनी जान कुर्बान करने वाले 175 से अधिक बिहार के डॉक्टरों को।

महामारी के दौरान देश में सर्वाधिक मौतें हमारे डॉक्टरों की हुईं, फिर भी ऊफ किए बगैर वे मोर्चे पर डटे रहे। बच्चों से दूर रहे। पटना एम्स के डॉक्टरों ने तो वह हिम्मत दिखाई जो बिरले ही सुनाई पड़ती है। उन्होंने तो बच्चों पर वैक्सीन के ट्रायल के लिए अपने ही बच्चों को आगे कर दिया। समाज का बड़ा हिस्सा लोगों की मदद में आगे आया। हम सुरक्षित रहें यह सुनिश्चित करने के लिए पुलिस के जवान दिन-रात सड़कों पर डटे रहे। सबको सिर्फ एक ही भरोसा था-माता रानी की कृपा से बेड़ा पार हो जाएगा। दुर्दिन के बाद सुदिन आएगा।

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