साहब..मेरा बच्चा बीमार है इसका इलाज कर दो, रात से इसने कुछ नहीं खाया, दूर से आई हूं, दवा दे दो

PATNA: हॉक्टरों की हड़ताल का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) विधेयक को लेकर सरकार के खिलाफ हड़ताल पर बैठे डॉक्टरों में इस कदर नाराजगी थी कि उसके आगे मरीजों की पीड़ा भी कोई मायने नहीं रख रही थी। राजधानी के करीब 50 से ज्यादा सरकारी अस्पतालों में हड़ताल होने के कारण मरीजों को इलाज के लिए दिनभर भटकना पड़ा। वहीं करीब 80 हजार से ज्यादा मरीजों को उपचार नहीं मिल सका।

इस हड़ताल के बीच ऐसी तस्वीरें सामने आई है जो आपकी आंखें नम कर देंगी। एक 12 साल के आमिर की मां उसे गोद में लेकर इलाज के लिए भटकती रही। लोकनायक अस्पताल में इधर- उधर दौड़ रही थी और डॉक्टरों के आगे हाथ जोड़कर बच्चे के इलाज के लिए मिन्नतें कर रही थीं।अस्पताल में जो भी डॉक्टर आमिर की मां को दिखता वह गिड़गिड़ाते हुए कहती, साहब! मेरा बच्चा बीमार है। इसका इलाज कर दो, बुधवार रात से इसने कुछ नहीं खाया है। बड़ी दूर से आई हूं। इसे कुछ दवा दे दो।

ठीक ऐसा ही हाल जसप्रीत का था, जिनके हाथ में पिता का अंबु बैग था।  दोनों अंबु बैग के साथ ही इधर- उधर भाग रहे थे। मरीज की स्थिति काफी गंभीर थी। जसप्रीत ने डॉक्टरों से कहा कि वह अंबु बैग के साथ अब तक कई अस्पतालों के चक्कर लगा चुका है, लेकिन डॉक्टरों ने कहा कि इलाज कराने अब सरकार के पास जाओ। कई मरीजों को बाहर गेट पर ही सुरक्षा गार्ड डॉक्टरों की हड़ताल के बारे में कहते हुए वापस लौटा रहे थे, पर अधिकतर मरीजों को सुरक्षा गार्डों की बातों पर भरोसा नहीं था।

नई दिल्ली स्थित लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में सुबह 10 बजे मरीजों की काफी भीड़ थी। इसी अस्पताल परिसर में केंद्र सरकार का सुचेता कृपलानी बाल चिकित्सालय भी होने के कारण मरीजों की संख्या काफी थी। यहां दिल्ली के रवि कुमार ने बताया कि वे अपनी पत्नी के ऑपरेशन के लिए अस्पताल आए थे। ऑपरेशन की तारीख देने के बाद दोबारा बुलाया गया था लेकिन भारी भीड़ और डॉक्टरों की कमी के चलते उन्हें परामर्श नहीं मिल सका। इसी तरह बदरपुर से आए सुनील कुमार का कहना था कि कमर में दर्द की शिकायत थी लेकिन उनका पंजीकरण नहीं हो सका।

 

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