डॉ शशिभूषण को सलाम, पिता को मुखाग्नि देने के बदले करते रहे कोरोना मरीज का इलाज

ओडिशा के मलकानगिरी के एक डॉक्टर ने अपने ड्यूटी के लिए अपने रिश्ते को पीछे छोड़ दिया। अपने पिता के मौत के बाद डॉक्टर शशि भूषण महापात्र अपने पिता को मुखाअग्नि देने नहीं गए बल्कि ज़िला अस्पताल में कोरोना मरीजों की इलाज करते हुए नज़र आये। शुक्रवार को डॉक्टर शशि भूषण महापात्र के पिता दुर्योधन महापात्र की मौत हो गई। मौत की खबर डॉक्टर महापात्र को फ़ोन के जरिए दिया गया। घर के बड़े बेटे होने के नाते डॉक्टर महापात्र को मुखाअग्नि देने के लिए गांव पहुंचना चाहिए था लेकिन जिले अस्पताल में कम डॉक्टर होने के वजह से डॉक्टर महापात्र गांव न जाने की निर्णय लिया और कोरोना की मरीजों की इलाज करते रहे। डॉक्टर महापात्र अपने छोटे भाई को समझाबुझाकर मुखाअग्नि देने के लिए राजी करवाया।

मलकानगिरी जिले से डॉक्टर महापात्र की गांव 700 किलोमीटर के करीब है। ऐसे में गांव पहुंचकर जल्दी मरीजों की इलाज के लिए वापस ड्यूटी पर पहुंचना डॉक्टर महापात्र के लिए संभव नहीं था। ऐसे में वो गांव नहीं गए बल्कि मरीजों की इलाज करते रहे।डॉक्टर महापात्र मलकानगिरी जिले अस्पताल के कोरोना सेल के नोडल अफसर हैं। इसके साथ साथ उन्हें परिवार कल्याण,रोग नियंत्रण और टीवी विभाग के कई जिम्मेदारियां भी दी गयी है। डॉक्टर महापात्र की इस निर्णय के लिए उन्हें उन्हें ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से लेकर ज़िला अधिकारी तक तारीफ कर रहे हैं।

ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के आफिस ने एक ट्वीट के जरिए डॉक्टर महापात्र की तारीफ करते हुए लिखा है कि” अभी के इस संकट के स्थिति में अपने कर्तब्य के सामने रिश्ते को पीछे छोड़कर मलकानगिरी के ADMO डॉक्टर शशि भूषण महापात्र ने अनेकों के लिए एक उदाहरण पेश किए हैं और प्रेरणा साबित हुए हैं। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने शोक प्रकट करते हुए उनके इस निष्ठापर काम के लिए उनकी तारीफ किये हैं”

Sushil mahapatra, ndtv

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