रिपोर्ट : डॉ. वशिष्ठ का श’व ले जाने के लिए वाहन उपलब्ध कराने में नहीं हुई थी लापरवाही

PATNA : पीएमसीएच में गणितज्ञ डॉ. वशिष्ठ नारायण सिंह के निधन के बाद श’व वाहन उपलब्ध कराने में देर नहीं की गई और न ही किसी ने इसमें लापरवाही बरती। इस मामले की जांच के लिए गठित कमेटी की रिपाेर्ट में यह कहा गया है। श’व वाहन उपलब्ध कराने में देरी के अारोप के बाद प्राचार्य डॉ. विद्यापति चौधरी की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनी थी। जांच कमेटी ने रिपोर्ट तैयार कर दी है।

प्राचार्य डॉ. विद्यापति चौधरी और अधीक्षक डॉ. राजीव रंजन प्रसाद ने बताया कि डॉ. वशिष्ठ नारायण सिंह को सुबह 8:38 बजे इमरजेंसी में लाया गया था। चिकित्सक जांच की तो पचा चला कि उन्हें मृत लाया गया है। फिर भी जरूरी जांच की गई। कनफर्म होने पर उनके परिजन को इसकी जानकारी दी गई। परिजनों ने कहा कि वे श’व को ले जाना चाहते हैं। श’व ले जाने के पहले भी कुछ प्रक्रिया (पोस्टमार्टम) होती है। लेकिन अधीक्षक के निर्देश पर श’व ले जाने की अनुमति दे दी गई थी। परिजनों की मांग पर ही श’व को बाहर जाने दिया गया अाैर वाहन उपलब्ध कराया गया। लेकिन, परिजनों ने कहा कि यह छोटा है। इसमें श’व ले जाना संभव नहीं होगा।

इसके बाद बड़े श’व वाहन के लिए सिविल सर्जन से संपर्क किया गया। वहां से एंबुलेंस अाई और परिजन श’व ले गए। इसमें थोड़ा समय जरूर लग गया। डॉ. चौधरी ने कहा कि अस्पताल अाने से उनके श’व को ले जाने तक करीब दो घंटे का समय लगा।

यह सुशासन नहीं कुशासन है : वशिष्ठ बाबू के निधन के बाद पीएमसीएच प्रशासन ने उन्हें एक एम्बुलेंस तक मुहैया नहीं कराई। इसको लेकर उनके परिजनों को बहुत निराशा है। वशिष्ठ बाबू के परिजनों का कहना है कि उनको जीते जी कभी भी सम्मानित नहीं किया गया। वो जीवन के बहुत मुश्किल दौर से गुजरे लेकिन सरकार ने कभी भी उनकी सुध नहीं ली। पीएमसीएच ने उनके घर वालों को केवल मृत्यु प्रमाण पत्र देकर अपना पल्ला झाड़ लिया।

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