जर्मनी में धूमधाम से मनाया जा रहा दुर्गा पूजा, भक्तिमय हुआ वातावरण

जर्मनी के कोलोन शहर में दुर्गापूजा का आयोजन। 28 साल से इस शहर में इस पूजा का आयोजन हो रहा है, जो कथित तौर पर जर्मनी में सबसे बड़ा आयोजन है। वर्षों पहले बंगाल से जर्मनी आए लोगों ने इसकी शुरुआत की थी। अब उनकी दूसरी पीढ़ी ने जिम्मेदारी संभाल ली है। यहां भारत की तरह खुले में बड़ा पंडाल नहीं बनाया जाता है बल्कि किसी बड़े हॉल में प्रतिमा स्थापित की जाती है। पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है। हज़ारों मील दूर भी अपनी संस्कृति और सभ्यता को बनाए रखने की पहल वाकई काबिले तारीफ़ है।

महासप्तमी आज, प्राण-प्रतिष्ठा के साथ ही खुल जाएंगे राजधानी के सभी पूजा-पंडालों के पट, दर्शन देंगी माता : या देवी सर्वभू‍तेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:…। शनिवार महासप्तमी तिथि में वैदिक मंत्रोच्चार से पूजा-अर्चना के साथ राजधानी के सभी पूजा पंडालों के पट खुल जाएंगे। इसके बाद माता का दर्शन-पूजन शुरू हाे जाएगा। शनिवार प्रात: नवपत्रिका के साथ मां जगत जननी जगदंबा दुर्गा का पट सुबह 7.30 बजे से खुलना शुरू हाे जाएगा।सप्तमी तिथि 2.13 बजे तक रहेगी, इस दाैरान पट खाेलने का सर्वोत्तम मुहूर्त है। वैसे शाम में भी पट खाेला जा सकता है। ज्याेर्तिवेद विज्ञान केंद्र के निदेशक डाॅ. राजनाथ झा के अनुसार पूर्वाह्न में देवी का अावाह्न अाैर विसर्जन करना धर्म शास्त्र में सर्वश्रेष्ठ माना गया है।

षष्ठी को जोड़ा बेल की हुई पूजा: इस बीच शुक्रवार को षष्ठी पूजा के साथ महासप्तमी के दिन माता कालरात्रि की पूजा-अर्चना को लेकर पूरा शहर तैयारी में लीन नजर आया। जगह-जगह षष्ठी पूजा के दौरान नवरात्र में आराधना कर रहे श्रद्धालुओं ने बेल के पेड़ में जोड़ा बेल की विधिवत पूजा की। मां सिद्धेश्वरी काली मंदिर बांस घाट के मुख्य पुजारी पंडित संजय कुमार तिवारी उर्फ शशि बाबा के अनुसार उदया तिथि में माता की आराधना का फल सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। महासप्तमी की रात्रि में निशा पूजा होगी, जो प्रात: काल तक चलेगी। इस दौरान श्री सिद्धेश्वरी काली मंदिर में विशेष पूजा होगी। निशा पूजा के दौरान तांत्रिक श्मशान जगाएंगे और कालरात्री की पूजा करेंगे।

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