पूजा-पाठ पर कम आ आर्केस्ट्रा पर देल जा रहल अछि बेसी ध्यान, अश्लील गीत सं परेशान छथि लोक वेद

Vandana Jha
शशिसूर्य गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे, गुरौ शुक्रे च दोलायां बुधे नौका प्रकीर्तिता। गजे च जलदा देवी क्ष्त्रयंगस्तुरंगमे, नौकायां सर्वसिद्धि: स्यांद्धोलायां मरणं ध्रुवम।।

दुर्गा पूजाक दू चारि मास पहिले सँ गामक लोक सब बाबा सँ पुछय लागैत छलखिन्ह जे भगवती एहि बेर कोन सवारी पर चढ़ि कऽ अयथिन्ह आ कोन सवारी सँ विदा हेथिन्ह। नेनपन मे हमरा एहि बात सँ बहुत आश्चर्य होइत छल जे एना कोना होइत छैक ?? तखन बाबा उपर्युक्त शलोक हमरा अर्थ आ भावके संग बुझा दैत छलाह जे भगवती प्रत्येक वर्ष अलग अलग सवारी पर आबैत छथिन्ह आ एकर सबहक अलग अलग फल होइत अछि।

लेकिन आब हम सोचैत छी जे बाबाक ओहि वक्तव्य मे कतहु डायनासोर, चंद्रयान, मंगलयान, राकेट आ मिसाइल, मर्सीडिज बेंज आ फरारी सबहक चर्चा नहि होइत छल जे देवी दुर्गाक सवारी ई सब सेहो भऽ सकैत अछि। भऽ सकैत अछि जे नव नव आयोजन समितिके आयोजक लोकनि अपन धर्मशास्त्र के सेहो अप-टू-डेट कऽ देने हेथिन्ह। अपन भारत वर्ष मे तऽ एक सँ एक भक्त लोकनि सब छथि। अमेरिकामे जखन 9/11 के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला भेल तऽ अपना ओहि ठाम जेना पूजाक लेल एकटा थीम भेटि गेल छलैक। मुम्बईके 26/११हमलाक बाद पूजाक थीम होटल ताजक ई घटना छल। सब साल किछु नीक आ किछु बेजाय घटना तऽ होइत रहैत अछि। आब हिनकर सबके थीमक हिसाब सँ मैयाक पूजा चन्द्रयान, मंगलयान आ इसरोक दफ्तर मे होयत।

आजुक समयमे पूजा पाठक बदलैत स्वरूपक ई हाल अछि जे दुर्गा पूजा, सरस्वती पूजा या कोनो तरहक पूजाक आयोजनक समय हमर माँ जी डरय लागैत छथि – कहैत छथिन्ह ई दस दिन प्राण अवग्रहमे पड़ि जाइत अछि। माँ के डरबाक कारण ओहि पूजा पाठक अन्तर्गत जोर जोर सँ लाउडस्पीकर पर अशलील गीत सबहक गीतमाला के लऽ कऽ रहैत छन्हि।


आजुक समयमे देवी- देवताक पूजामे भोग आ नैवैद्ध चढ़त तकर चिंता अधिकांशत: आयोजक सब के कहां छन्हि, मुदा हिनका सबके चिंता एहि बातक अवश्य रहैत छन्हि जे पूजाक नाम पर कोन कोन ब्रांडक बोतल सब आयत। भगवानक भजन कीर्तनके विचार कहां होइत अछि लेकिन पूजाक नाम पर कोन आर्केस्ट्रा आयत आ कोन कोन आइटम गीत सब बाजत ओहिमे ई सब रमल छथि।

कखनहुं मुन्नी बदनाम हुई, डार्लिंग तेरे लिए, तऽ कखनहुं – शीला, शीला की जवानी, बस तेरे हाथ ना आनी। हम जखन एहि गीतके सुनि कऽ मोने मोन ईएह कहैत छी जे मुन्नीक लेल तऽ हमरा पता नहि मुदा अपन देवी देवतासभ एहने एहने कलियुगी भक्त सबहक कारणें बदनाम भऽ रहल छथि। ओहिना शीलाक तऽ हमरा पता नहि अछि मुदा अपन देवी देवताक भक्ति आ शक्ति तऽ एहन एहन आसुरी प्रवृतिक व्यक्तिक हाथ कहियो नहि आबय देथिन्ह। हम तऽ मात्र ईएह प्रार्थना कऽ रहल छी जे देवी देवताक आत्माके कनाबय वला किछु दानवरूपी मनुक्ख सबके भगवान सदबुद्धि देथुन्ह।

सर्वमङ्गलमङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके ।शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते ॥

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