70 साल की चिंता देवी केवल पानी और चाय पर रखती हैं नौ दिनों का व्रत

उम्र 70 और नाम चिंता देवी। कृष्णापुरी में रह रहीं ये बुजुर्ग महिला 20 वर्षों से ज्यादा नवरात्र कर रही हैं, वह भी सिर्फ पानी पीकर। न फल, न अनाज केवल पानी। नौ दिनों के व्रत के दौरान मानो मां की असीम महिमा इनपर बरसती है।

पूरा दिन दुर्गा पाठ और मां की भक्ति में लीन। बढ़ती उम्र के साथ कुछ बीमारियों से शरीर आम दिनों में कमजोर भी पड़ता है लेकिन जब नवरात्र का वक्त हाेता है तो चिंता की सारी कमजोरी मानो गायब सी हो जाती है। एक महीने पहले से ही मां के स्वागत की तैयारी में जुटती है। पाठ के दौरान चिंता इस प्रकार लीन होती हैं कि उन्हें दूसरी कोई समस्या और बात याद नहीं आती है। दिनभर पाठ में लीन रहती है, घर के कई कामों में हाथ बंटाती हैं और शाम की आरती सबके साथ करती हैं। वह बताती हैं कि मां में श्रद्धा मेरी बचपन से ही थी। पहले तो फल और अनाज खाकर नवरात्र करती थी लेकिन धीरे-धीरे सब छोड़ केवल पानी और चाय पर करने लगी। नौ दिनों में मुझे सबसे ज्यादा ताकत मिलती है। लगता है मानो मां मेरे साथ है।

लंगर टाेली बंगाली अखाड़ा में महाअष्टमी पर दाेपहर में एेसा नजारा उपस्थित हुअा कि देवी साक्षात प्रकट हाे गर्इ हैं। कुंवारी पूजन के लिए इस बार चयनित हुर्इ कंकड़बाग की पांच वर्षीया पाखी जायसवाल काे माता भगवती का स्वरूप मान पांव छूने के लिए बंगाली समाज के लाेगाें के बीच हाेड़ मच गर्इ। सबसे पहले कुंवारी कन्या का पांव पखारा गया अाैर वैदिक मंत्राेच्चार के बाद विधिवत पूजा-अर्चना हुर्इ। पूजा के बाद माता काे अाशीर्वाद देने के लिए भक्ताें के बीच लाया गया, जहां माता का पांव छूने के लिए लाेग अातुर दिखे। कर्इ महिलाएं माता के पैर से अपनी सिर पर अाशीर्वाद ले रही थीं। एक घंटे तक चली पूजा के दाैरान बड़ी संख्या में बंगाली समाज के लाेगाें के साथ अाम लाेग भी जुटे रहे। इससे पहले पुष्पांजलि हुर्इ। फिर दाेपहर बाद भाेग प्रसाद का वितरण हुअा। इसके बाद बंगाली अखाड़ा में 108 कमल से संधि पूजा हुई।

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