बकरीद कल, पटना में डेढ़ लाख में मिल रहा है जम्मू और लद्दाख नामक बकरा

राजधानी समेत पूरे बिहार में साेमवार को बकरीद मनाई जाएगी। बकरीद की नमाज को लेकर सभी ईदगाहों, मस्जिदों में तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। मस्जिदों, खानकाहों व ईदगाहों की साफ -सफाई हो गई है। बकरीद की नमाज के वक्त का ऐलान कर दिया गया है। गांधी मैदान में सुबह 8 बजे नमाज होगी।

ईदुल अजहा यानी बकरीद की नमाज हर उस शख्स पर वाजिब है जिसपर जुमे की नमाज वाजिब है। यह नमाज जितना जल्द हो, पढ़ लेना बेहतर है। बकरीद को लेकर लच्छे, सेवई, इत्र, रूमाल, टोपी आदि की अस्थायी दुकानें खुल गई हैं। बकरे की खरीदारी में लोग जुटे हैं। बकरी बाजार से लेकर मुहल्ले में कारोबारी पहुंचे हुए हैं। घर की साफ-सफाई से लेकर सजावट करने में मशगूल हैं। इधर, बिहार समेत पूरी दुनिया के करीब 25 लाख लोग हज करने में मशगूल हैं।

इमारत-ए- शरिया के नाजिम मौलाना अनिसुर रहमान कासमी ने कहा कि हमें हज के मौके पर पैगम्बर मोहम्मद साहब के खुत्बे को भी ध्यान में रखना चाहिए । यह दिन हमें यह पैगाम देता है कि हमें अल्लाह के डर के साथ जीवन गुजारना चाहिए। यह दिन हमें बताता है कि मनुष्यों के बीच रंग, नस्ल, जाति, धर्म और देश को ले कर भेद- भाव नहीं होना चाहिए। सभी मनुष्य आपस में भाई-भाई हैं।

कुर्बानी का गोश्त तीन हिस्सों में बांट दें। एक भाग गरीबों को दें, दूसरा भाग अपने दोस्त व पड़ोसियों में बांटे और तीसरा हिस्सा अपने लिए रखें। जानवर के चमड़े का पैसे को गरीबों में बांट दें या फिर उन मदरसे या संस्थानों का दें जहां कल्याणकारी कार्य होते हैं।

कुर्बानी का जानवर तंदुरुस्त हो। ऐसा जानवर जो अंधा, लंगड़ा, काना और बीमार हो वह कुर्बानी के लिए जायज नहीं है। कुर्बानी के जानवरों के लिए उम्र की पाबंदी है। बकरा, बकरी, भेड़ की उम्र एक साल से कम न हो। जम्मू और लद्दाख बकरा 1.50 लाख में, जगदेवपथ के बाजार में ग्राहकों की भीड़

राजधानी में जम्मू व लद्दाख डेढ़ लाख में मिल रहा है। जम्मू-कश्मीर से धारा 370 व 35 ए के हटने के बाद वहां जमीन खरीदने वालों को खुश होने की जरूरत नहीं है। दरअसल ये दो बकरों के नाम हैं जो जगदेवपथ स्थित बकरी बाजार में बिकने को आए हैं। ये दोनों बकरे यूपी के आजमगढ़ के हैं। आजमगढ़ के बकरा कारोबारी सइदुर रहमान 75 से 100 किलो के कई बकरे लेकर यहां पहुंचे हैं। जम्मू व लद्दाख नाम के बकरों की कीमत डेढ़ लाख रुपए है। ये दोनों अजमेरी नस्ल के बकरे हैं। हरेक का वजन 75 से 80 किलो के बीच है। सइदुर ने बताया कि दोनों की उम्र सवा साल है। खाने को मुख्य रूप से चना दिया जाता है। कभी-कभार ड्राई फ्रूट खिलाते थे। पटना आने के बाद इसकी खूबसूरती को देखकर यहां के लोगों ने एक का नाम जम्मू रख दिया तो दूसरे का लद्दाख। इधर बकरी बाजार के संचालक जियाउल्लाह ने बताया कि सवा लाख का एक बकरा बिक चुका है।

यूपी, झारखंड, राजस्थान व बिहार के कई जिलों से व्यापारी बकरे लेकर यहां पहुंच हुए हैं। बकरी बाजार में बिहार के बक्सर, आरा, रोहतास, बेगूसराय,कैमूर, पूर्णिया, अररिया जिलों के अलावा यूपी के बलिया, आजमगढ़, देवरिया व मऊ के अलावा झारखंड के कोडरमा, हजारीबाग आदि से व्यापारी ट्रक से बकरे लेकर आए हुए हैं। बकरीद को लेकर ऑटो व रिक्शा चालकों की चांदी है। बकरे को खरीदने के बाद खरीदार ऑटो व रिक्शा पर लाद इसे घर ले जा रहे हैं। कम से कम किराया सौ रुपए है। अधिक से अधिक भाड़ा दूरी पर निर्भर है।

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