39 सीट जीतने के बाद भी PM मोदी को नहीं है बिहार की चिंता, केरल की तरह अब तक डाक्टर लेकर नहीं आए
PATNA : याद कीजिए 10 अप्रेल 2016… केरल के कोल्लम जिले में एक मंदिर में आग लगी और करीब 110 लोगों की मौ-त हो गई जबकि 350 से ज्यादा झु-लसे लोग अस्पतालों में ची-त्कार कर रहे थे। प्रधानमंत्री मोदी अगले कुछ घंटों में दिल्ली से एम्स सहित कई अन्य अस्पतालों के विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम के साथ कोल्लम पहुंचते हैं। तमाम प्रोटोकॉल और सुरक्षा को दरकिनार कर पीएम तब देवदूत की भांति कोल्लम में थे। उस वक्त यहां तक कहा गया कि पीडि़तों को उपचार के लिए अगर एयरलिफ्ट करने की जरूरत आई तो वायुसेना के विमानों का उपयोग किया जा सकता है।
लेकिन, मुजफ्फरपुर में गरीब, बेबस लोगों के घरों में मातम पसरा है। हर दिन मौ-त हो रही है। पिछले कई साल से बच्चे इस प्रकार की मौ-त का शिकार बन रहे हैं लेकिन सरकार सोई है। इस बार तो 100 से ज्यादा बच्चे म-र चुके हैं। सिलसिला जार है लेकिन हमारे प्रधानमंत्री को रोती-बिलखती मां की आवाज सुनाई नहीं देती। काश केरल की भांति ही एक बार विशेषज्ञ डॉक्टरों, दवाइयों और उपकरणों के साथ मोदी जी मुजफ्फरपुर भी आ जाते। कुछ नहीं तो भी कई बच्चे बच जाते। काश यहां से भी कुछ बच्चों को एयरलिफ्ट कराकर देश के नामी गिरामी अस्पतालों में पहुंचाने की व्यवस्था की जाती।
लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो रहा है। हो सकता है इसका एक कारण यह भी हो कि केरल में पार्टी को मजबूत करने की मजबूरी है, बिहार में तो पहले ही मोदी के चेहरे पर 40 में से 39 लोकसभा सीट जीत ही चुका है एनडीए।
बाद बाकी मोदी सरकार के स्वास्थ्य मंत्री हर्षवद्र्धन जब 2014 में मुजफ्फरपुर आए थे तब भी उन्होंने इस अज्ञात बीमारी पर शोध कराने और नए अस्पताल बनाने की बात कही थी। संयोग से बिजली की गति से हो रहे विकास में पांच साल बाद भी 2019 में भी मंत्री साहब ने 2014 की बात ही दोहराई है।
लेखक : प्रिर्यदर्शन शर्मा, पत्रकार, पत्रिका
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