पायलट बोले- 5 साल की मेहनत फिर भी गहलोत बने CM, ये सत्ता नहीं आत्मसम्मान की बात

श्रोत- इंडिया टुडे मैगज़ीन

राजस्थान में बगावती तेवर दिखाने वाले सचिन पायलट को 14 जुलाई को प्रदेश अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया. अशोक गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोलना सचिन पायलट को भारी पड़ा और कांग्रेस की ओर से आरोप लगाया गया कि पायलट ने भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर सरकार को गिराने का षड्यंत्र रचा है. इस पूरे सियासी खेल के बाद सचिन पायलट ने अपना पहला इंटरव्यू दिया और इंडिया टुडे मैग्जीन से खुलकर बात की. सचिन ने कहा है कि वो भारतीय जनता पार्टी के संपर्क में नहीं हैं और ना ही बीजेपी ज्वाइन कर रहे हैं.

सवाल: आप मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से खफा क्यों हैं?

जवाब: मैं उनसे नाराज नहीं हूं और ना ही किसी तरह की कोई स्पेशल शक्ति मांग रहा हूं. मैं बस इतना चाहता हूं कि कांग्रेस की सरकार राजस्थान में लोगों को किए हुए वादे को पूरा करे जो चुनाव के दौरान किए गए थे. हमने चुनाव में वसुंधरा राजे की सरकार के खिलाफ प्रचार किया, जिसमें अवैध माइनिंग का मसला था लेकिन सत्ता में आने के बाद अशोक गहलोत जी ने कुछ नहीं किया और उसी रास्ते पर चल पड़े. पिछले साल राजस्थान हाई कोर्ट ने एक पुराने फैसले को पलटते हुए वसुंधरा राजे को बंगला खाली करने को कहा, लेकिन अशोक गहलोत सरकार ने फैसले पर अमल करने की बजाय इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी.

अशोक गहलोत एक तरफ तो पूर्व मुख्यमंत्री की मदद कर रहे हैं और दूसरी तरफ मुझे और मेरे समर्थकों को राजस्थान के विकास में काम करने की जगह नहीं दे रहे हैं. अफसरों को कहा गया कि मेरे आदेश ना मानें, मुझे फाइलें नहीं भेजी जा रही थीं. महीनों तक विधायक दल या कैबिनेट की बैठक नहीं होती है. ऐसे पद का क्या फायदा अगर मैं लोगों को किया गया वादा ही ना पूरा कर सकूं.

सवाल: आपने पार्टी के स्तर पर इन मुद्दों को क्यों नहीं उठाया?

जवाब: मैंने कई बार इन मसलों को सभी के सामने रखा है. मैंने प्रभारी अविनाश पांडे और अन्य वरिष्ठ नेताओं से बात की, खुद अशोक गहलोत से इस मसले पर बात की है. लेकिन जब मंत्रियों और विधायकों की बैठक ही नहीं होती थी, तो बहस और बातचीत की जगह ही नहीं बची थी.

सवाल: अशोक गहलोत के द्वारा जब विधायक दल की बैठक बुलाई गई, आप नहीं गए. वहां पर भी तो मुद्दों को उठाया जा सकता था?

जवाब: मेरे आत्मसम्मान को चोट पहुंची है. राज्य की पुलिस ने मुझे राजद्रोह का नोटिस थमा दिया. अगर आपको याद हो तो 2019 के लोकसभा चुनाव में हम लोग ऐसे कानून को ही हटाने की बात कर रहे थे. और यहां कांग्रेस की ही एक सरकार अपने ही मंत्री को इसके तहत नोटिस थमा रही है. मैंने जो कदम उठाया वो अन्याय के खिलाफ था. अगर व्हिप की बात हो तो वो सिर्फ विधानसभा के सदन में काम आता है, मुख्यमंत्री ने ये बैठक अपने घर में बुलाई थी ना कि पार्टी के दफ्तर में.

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