बिहार में जमीन खरीद-बिक्री में फर्जीवाड़ा रोकने की कवायद, आप भी जमीन मालिक हैं तो जानें यह नई व्यवस्था

Desk: बिहार में जमीन खरीद-बिक्री में फर्जीवाड़ा रोकने के लिए सरकार नई पहल करने जा रही है। आप भी जमीन मालिक हैं तो जानें यह नई व्यवस्था दरअसल प्रदेश में अब नया सर्वे की जरूरत नहीं पड़ेगी। भूमि सुधार विभाग ऐसी व्यवस्था करने जा रहा है, जिससे जमीन की खरीद- बिक्री के साथ ही नक्शा में खुद बदलाव हो जाएगा। खतियान से भी पुराने मालिक का नाम हटकर नये मालिक का नाम जुड़ जाएगा। इसका प्रयोग सफल हुआ तो वर्तमान में चल रहे सर्वे का नक्शा प्रकाशित होने के बाद, फिर से नये सर्वे की जरूरत खत्म हो जाएगी। जमीन की खरीद-बिक्री में फर्जीवाड़ा भी रुकेगा।

भूमि सुधार विभाग ऐसी व्यवस्था करने में जुटा है कि किसी जमीन की खरीद बिक्री होने पर पूरे गांव का नक्शा बदल जाए। अभी खरीदी गई जमीन के दखिल खारिज के बाद केवल नामांतरण होता है। यानी जमाबंदी पंजी में उतनी जमीन पर बेचने वाले का नाम हटाकर खरीदने वाले का जोड़ दिया जा है, लेकिन गांव के नक्शा या खतियान में कोई बदलाव नहीं होता है।
नई व्यवस्था में जमीन की खरीद बिक्री होते ही नक्शा और खतियान भी बदल जाएगा। खतियान में बेची गई जमीन नये खरीददार के नाम हो जाएगी। साथ में नक्शा भी बदल जाएगा। नये नक्शा में जमीन का अलग भूखंड दिखेगा जिसका खेसरा नम्बर अलग होगा। उस खेसरा के मालिक के नाम की जगह पर नये खरीददार का नाम चढ़ जाएगा। इसी के साथ गांव में खेसरा की संख्या भी बढ़ जाएगी।

भूमि सुधार विभाग टेक्चुअल के साथ स्पेशियल डाटा को भी अपलोड कर रहा है। इसी के साथ 20 जिलों में हवाई सर्वे भी चल रहा है। हवाई जहाज में लगे हाई रिजोल्यूसन के कैमरों से तस्वीर ली जाती है। इससे त्रुटी की संभावना कम होती है। इसी के साथ ने रीयल टाइम सर्वे भी हो रहा है। काम पूरा होने के बाद नया नक्शा प्रकाशित होगा। उसके बाद सारा काम नई तकनीक से खुद ब खुद होते रहेगा।

वर्तमान व्यवस्था में कई उदाहरण राज्य में ऐसे भी हैं जहां एक ही जमीन की दो जमाबंदी कायम है। यह कोई तकनीकी भूल नहीं बल्कि कर्मचारी की मिलीभगत से होने वाला फर्जीवाड़ा है। इस फर्जीवाड़ा का मूल आधार खतियान है। जमीन बेचने के बाद भी खतियान से पुराने मालिक का नाम नहीं हटता है। लंबे समय के बाद उसकी दूसरी पीढ़ी खतियान मिलाती है तो वह जमीन भी उसके नाम पर दिखती है जिसे उनके पुरखे बेच चुके हैं। अब उस नाम पर कर्मचारी से मिलीभगत कर नया जमाबंदी खोल लेता है और उसे दाबारा बेच देता है। उसके बाद नये मालिक कोर्ट कचहरी का चक्कर लगाते रहते हैं।

नक्शा और जामबंदी
1.25 लाख नक्शे डिजिटाइज्ड हैं
3.51 करोड़ जमाबंदी है राज्य में
91.6 लाख म्यूटेश में भूल सुधार हुआ
3.5 हजार म्यूटेशन रोज होता है
1.15 करोड़ होल्डिंग की कटती है रसीद

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