दिल्ली के पश्चिम विहार इलाके में फर्जी काल सेंटर का पर्दाफाश, 8 लड़कियों समेत 14 लोग गिरफ्तार

नई दिल्ली [गौतम कुमार मिश्रा]। बाहरी जिला पुलिस ने पश्चिम विहार इलाके में चल रहे एक ऐसे काल सेंटर का पता लगाया है, जहां से काल कर लोगों को अत्यंत कम कीमत पर ब्रांडेड मोबाइल दिलाने की बात कह ठगी के जाल में फंसाया जाता था। पुलिस ने इस काल सेंटर में काम करने वाले 14 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें आठ लड़कियां हैं। गिरफ्तार आरोपितों में काल सेंटर का मालिक अजीत भी है। गिरफ्तार आरोपितों में अजीत के अलावा लता, संजना, काजल, नैना, प्रिया, पूजा, कीर्ति, नीलम, उमेश, नितिन, प्रभादित, फुरकान, यशपाल है। काल सेंटर किराए के कमरे में चलाया जा रहा था। दो महीने पहले ही यह कमरा लिया गया था। इसका किराया 50 हजार रुपये महीना था।

पुलिस ने इस मामले में आरोपितों के खिलाफ धोखाधड़ी व आपराधिक षड़यंत्र का मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है। बाहरी जिला पुलिस उपायुक्त परविंदर सिंह ने बताया कि जिला के साइबर सेल को काल सेंटर के बारे में जानकारी मिली थी। इसके बाद सब इंस्पेक्टर हरिंदर सिंह, एएसआइ राजकुमार, राजेश, हेड कांस्टेबल कृष्ण, कांस्टेबल पवन, अजय, अनिल, महिला कांस्टेबल माेनिका की एक टीम बनाई गई।

टीम ने जब काल सेंटर में छापेमारी की तो वहां आरोपित काल करते हुए मिले। पुलिस को मौके से दो सीपीयू, एक लेपटाप, नौ मोबाइल फोन, एक मानीटर, कई सिम कार्ड व काफी कागजात मिले हैं। छानबीन में पता चला कि काल सेंटर का मालिक अजीत हरियाणा के बहादुरगढ़ स्थित बापरोड़ा पाना गांव का रहने वाला है। पहले यह किसी काल सेंटर में काम करता था। वहां से अनुभव अर्जित करने के बाद इसने खुद अपना काल सेंटर चलाने की सोची।

इस काल सेंटर दिल्ली के बाहर रहने वाले लोगों को काल किया जाता था। जिस शख्स को काल किया जाता था, उन्हें कालर कहता था कि बाजार में जिस मोबाइल की कीमत 20 हजार रुपये है, वही मोबाइल महज पांच हजार रुपये में ये बेच सकते हैं। जब शिकार इनके झांसे में आ जाता तब अगले दिन ये उन्हें आर्डर करने के लिए कहते। उनसे कहा जाता था कि या तो वे कीमत आनलाइन अदा कर दें या फिर जब सामान उनके पास पहुंचेगा तब वे कीमत अदा कर दें।

टेलीकालर शिकार से पूरी जानकारी लेने के बाद तमाम बातों से अजीत काे अवगत करा देते थे। अब अजीत एक डिब्बे में करीब 50 रुपये का सामान भरकर पैकेट तैयार करा लेता था। पैकेट इस तरह से तैयार किया जाता था कि शिकार को कोई शक नहीं हो।

पुलिस के अनुसार अधिकांश पैकेट में साबुन रखे जाते थे। शिकार के पास जैसे ही सामान की डिलिवरी पहुंचती वे कीमत अदा कर देते थे। पुलिस के अनुसार अजीत ने एक फर्जी फर्म के नाम पर डाकघर में रजिस्ट्रेशन भी कराया था। जैसे ही शिकार मोबाइल की कीमत अदा करता यह रकम अजीत के फर्जी फर्म के खाते में जमा हो जाता था। इस खाते से अजीत पैसे निकाल लेता था। पुलिस को पता चला कि कुछ मामलों में जब ठगी के शिकार लोगों ने अजीत के उपर मुकदमा दायर करने की बात कही तो उसने ऐसे लोगों से समझाैता करने में भलाई समझी। लेकिन अधिकांश मामलों में ये ठगी में कामयाब हो जाते थे।

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