48 साल बाद छपेगा पटना का गजेटियर, बिहार के प्रमाणिक इतिहास की जानकारी मिल सकेगी

PATNA : बिहार के सभी प्रमुख जिलों के गजेटियर का प्रकाशन किया जाएगा। राजस्व विभाग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। विभाग ने इस वर्ष 7 फरवरी को सारण जिले का गजेटियर प्रकाशित किया था। इसके बाद पटना जिले के गजेटियर का प्रकाशन होना था, लेकिन लॉकडाउन के कारण सबकुछ थम सा गया था। अब इस दिशा में प्रक्रिया शुरू की गई है। करीब 48 साल बाद पटना जिले के गजेटियर का प्रकाशन होगा। पिछला प्रकाशन वर्ष 1972 में हुआ था।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार गजेटियर को मुकम्मल बनाने के लिए विभाग लेखन, संपादन मंडल तैनात करेगा। सारे दायित्वों के निर्वहन के लिए एक स्टेट एडिटर बहाल होंगे। इनकी देखरेख में तथ्य जुटाने का का काम आगे बढ़ेगा। सभी क्षेत्रों के विद्वानों, विशेषज्ञों एवं जानकारों से सभी तरह के ऐतिहासिक तथ्य जुटाए जाएंगे। आउटसोर्सिंग की भी सहायता ली जाएगी। तय समय-सीमा में सारे काम करने का दायित्व सौंपा जाएगा।

मालूम हो कि पुराने बिहार में मात्र 17 जिले थे। ऐतिहासिक संदर्भ में पुराने पटना के सारे तथ्यों का समावेश इस गजेटियर में होगा। हालांकि विभाग गया, नालंदा, जहानाबाद सभी का गजट निकालेगा, लेकिन पुराने पटना जिले में आए संदर्भ का पूरा ब्योरा रहेगा। बताया जाता है कि विद्वानों की टीम का चयन लगभग हो चुका है। 19 खंडों पर गजेटियर का काम चल रहा है। संपादन के बाद उसे छपने भेजा जाएगा। अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, इतिहास, भूगोल आदि के जानकारों एवं आर्काइव के विशेषज्ञों का भी सहयोग लिया जाएगा। तथ्यों की सत्यता की जांच के बाद अपर मुख्य सचिव का अनुमोदन लिया जाएगा।

गजेटियर के प्रकाशित होने से बिहार के प्रमाणिक इतिहास की जानकारी मिल सकेगी। इस प्रमाणित इतिहास के संदर्भ के आधार पर भविष्य में राज्य सरकार विभिन्न योजनाओं सहित अन्य मामलों में फैसला ले सकेगी। गजेटियर ही वह प्रमाणित ग्रंथ होता है जिसमें प्रकाशित हर तथ्य पर सरकार की मुहर लगी रहती है। यानी सरकार की स्वीकृति के बाद ही उन तथ्यों का प्रकाशन होता है और प्रकाशित उन तथ्यों को पूरी तरह प्रमाणिक एवं अंतिम माना जाता है।

रोचक इतिहास भी रहेगा पटना का गजेटियर केंद्र सरकार के मानकों के अनुरूप होगा। उसमें फेरबदल नहीं की जाएगी। इसमें पटना का रोचक इतिहास भी रहेगा। गजेटियर अंग्रेजी में प्रकाशित होगा। बाद में हिंदी अनुवाद की व्यवस्था भी की जाएगी। सूत्रों के मुताबिक गजेटियर निकालने के बाद अनुवाद का काम राष्ट्रभाषा परिषद को दिया जाएगा।

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