1994 में निकली थी देवघर में पहली बार शिव बारात, रिक्शे पर माईक लगाकर हुआ था प्रचार-प्रसार

DEOGHAR ; द्वादश ज्योतिर्लिंगों में श्रेष्ठ कामना ज्योतिर्लिंग रावणेश्वर बैद्यनाथ की नगरी में वर्ष 1994 ई. से पहले शिव बारात निकाले जाने का प्रचलन नहीं था। पहली बार 24 फरवरी 1994 ई. को धर्म जागृति संघ नामक संस्था के तात्कालीन अध्यक्ष राज कुमार शर्मा द्वारा संघ के तत्वावधान में देवघर के विभिन्न सामाजिक संगठनों की एक बैठक बुलायी गई, जहां उनके द्वारा देवघर में शिव बारात की योजना एवं प्रारुप प्रस्तुत किया गया, जिसे लोगों ने पसंद किया। आनन-फानन में उसी बैठक में शिवरात्रि महोत्सव समिति का गठन किया गया।

जय प्रकाश नारायण सिंह को शिवरात्रि महोत्सव समिति के अध्यक्ष पद की जबावदेही दी गई एवं चार दिनों के बाद आहुत अगली बैठक में देवघर नगरपालिका के तात्कालीन पार्षद राज नारायण खवाड़े उर्फ बबलू खवाड़े को समिति से जोड़कर सचिव पद प्रदान किया गया। शिव बारात की योजना को साकार करने के लिए विभिन्न उपसमितियों का गठन किया गया। उन दिनों देवघर नगरपालिका के सफाईकर्मी हड़ताल पर थे। चारों ओर गन्दगी फैली हुई थी। समिति के सचिव राज नारायण खवाड़े के अनुरोध पर हड़ताली कर्मचारियों ने 9 मार्च 1994 ई. को हड़ताल अवधि में भी कार्य किया। उनके साथ स्वयं राज नारायण खवाड़े के नेतृत्व में देवघर ट्रक ऑनर्स वेलफेयर एसोसिएशन, नाग ग्रुप एवं शिवरात्रि महोत्सव समिति के कार्यकत्र्ताओं ने भी शहर की सफाई में श्रमदान किया।

शिव बारात की योजना के प्रस्तुतकत्र्ता राज कुमार शर्मा ने स्वयं रिक्शे पर माईक लगाकर पूरे शहर में शिव बारात का प्रचार किया। राज नारायण खवाड़े, जय प्रकाश नारायण सिंह, राज कुमार शर्मा, मार्कण्डेय जजवाड़े, रमा शंकर गोस्वामी, सोहन लाल मिश्र, सच्चिदानन्द केशरी, गुलाब मिश्र, नवीन धन खवाड़े, विनय, सरोज कम्र्हे, उत्तम आचार्य, गिरधारी झा, राज कुमार पंडित, समेत नाग ग्रुप के दर्जनों समर्पित कार्यकत्र्ताओं व नगरवासियों के अथक प्रयास से पहली बार 10 मार्च 1994 ई. को देवघर के आर मित्रा उच्च विद्यालय के प्रांगण से संध्या समय यह शिव बारात निकाली गई।

इस शिव बारात के बारातियों की अगवानी के लिए उषा झा एवं प्रभा मिश्रा के नेतृत्व में देवघर के चांदनी चौक पर सराती पार्टी भी उपस्थित थी, जिसमें महिलाओं की प्रधानता थी, किन्तु भीड़ की अधिकता के कारण सराती पार्टी का यह प्रयोग बाद में बन्द कर दिया गया। जब पहली बार यह शिव बारात देवी-देवताओं, ऋषि-मुनियों, भूत-प्रेत, नर कंकाल, बैंड बाजे, बिजली बत्ती से सुसज्जित होकर हजारों श्रद्धालुओं के साथ शहर की सड़कों पर निकली तो एक बारगी ऐसा लगा मानो साक्षात देवलोक ही धरती पर उतर आया है। लाखों की भीड़ इसे देखने के लिए उमड़ पड़ी। दूसरे वर्ष ही राज नारायण खवाड़े को सचिव से अध्यक्ष बनाया गया, तब से यह शिव बारात निरन्तर सफलता की ओर अग्रसर है।

शिव बारात निकास व्यवस्था को 26 वर्षों बाद आज भी राज कुमार शर्मा समेत परिमल ठाकुर, कमल हमीरवासिया, मन्टु नरौने, रमा शंकर गोस्वामी, रमा कान्त प्रसाद साह, गोलोक चन्द्र कुंजिलवार आदि सफलतापूर्वक संभालने में लगे रहते हैं। प्रसिद्ध कलाकार मार्कण्डेय जजवाड़े अपने सहयोगियों समेत झांकियों को मूर्त्त रुप देने में दो महीने पहले से ही लग जाते हैं। समिति के आरंभ काल से ही जुड़े अधिकांश कार्यकत्र्ता 26 साल बाद भी उसी मनोयोग से शिव बारात को निकालने में लगे रहते हैं। समिति के अध्यक्ष राज नारायण खवाड़े उर्फ बबलू खवाड़े के नेतृत्व में निकलने वाली इस शिव बारात में शामिल होना या इसे देखना साक्षात शिव की पूजा समझा जाता है।

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