लोक गायिका शारदा सिन्हा को मिला ‘रंग शांति स्मृति सम्मान’

PATNA : खचाखच भरा हॉल। सीढ़ियों पर भी जगह नहीं। सारी कुर्सियां पहले से फुल। लोग जमीन पर भी बैठे हुए थे। सब बिहार कोकिला शारदा सिन्हा और ‘बिदेसिया’ के आकर्षण में बंधे चले आए थे। प्रेमचंद रंगशाला में गुरुवार शाम एक अलग ही नजारा दिखा। संजय उपाध्याय के निर्देशन में कलाकारों ने शानदार मंचन किया। प्रस्तुत है रिपोर्ट…।

 

आपने लोक संगीत को सर्वमान्य बनाया. लोक संगीत की खोई हुई गरिमा को मंडित किया. चार दशकों से भारतीय अस्मिता, मान, मूल्यों और संस्कृति को आगे बढ़ा रही हैं. भोजपुरी-मैथिली लोक गीतों की सबसे विश्वसनीय चेहरे के रूप में मानी जाती हैं. आप बिहार कोकिला, स्वर कोकिला, मिथिला की बेगम अख्तर कही जाती हैं.1991 में पद्मश्री, 2000 में संगीत नाटक अकादमी और 2018 में पद्मभूषण से सम्मानित हुईं. आज आपको ‘रंग शांति स्मृति सम्मान 2019′ से सम्मानित करते हुए हम गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं.

अभिनंदन पत्र में लिखी गई इन बातों को जब चर्चित नाट्य निर्देशक संजय उपाध्याय पढ़ रहे थे, तब सारा हॉल शांत था, लेकिन ज्योंहि देश की मशहूर कलाकार सुष्मिता मुखर्जी, डॉ. उषा किरण के हाथों बिहार कोकिला शारदा सिन्हा को यक्षिणी की मूर्ति की प्रतिकृति देकर ‘रंग शांति सम्मान’ दिया गया, पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा। इसके बाद बिहार संगीत नाटक अकादमी के सचिव विनोद अनुपम सहित करीब दर्जन भर संस्थाओं के लोगों ने बारी-बारी से शारदा सिन्हा को सम्मानित किया।

भावनाओं की उफान : सम्मान के बाद शारदा सिन्हा ने माइक संभाला। कहने लगी- आप सबका स्नेह देख मैं अभिभूत हूं। इतना प्यार आप लोगों ने मुझे दिया। सुष्मिता मुखर्जी का नाम सुनते ही मुझे करमचंद और किट्टी की याद आ गई. उस सीरियल को भूल नहीं पाई हूं. आज बिदेसिया का मंचन होगा. भिखारी ठाकुर के ‘बिदेसिया’ को अगर दुनिया ने जाना तो संजय उपाध्याय के कारण. आज हमारे बीच त्रिपुरारी शरण जी भी हैं. इतना सुनते ही दर्शक दीर्घा में बैठे अपर मुख्य सचिव त्रिपुरारी शरण खड़े हो गए और कहने लगे- माफ कीजिएगा मैं देर से आया. रोज संजय उपाध्याय फोन करते थे. आज फोन ही नहीं किए. समय बताए ही नहीं, इसलिए मैं देर से आया. इतना सुनते ही शारदा सिन्हा ने एक शायरी सुनाई और पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा। सम्मान समारोह के दौरान पूरा प्रेमंचद रंगशाला गुलजार हो उठा। बड़ी संख्या में पहुंचे राजधानीवासियों ने खूब लुत्फ उठाया।

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