26 जनवरी की बधाई, मेरा बिहार ज’ल रहा है प्लीज उसे बचा लो, ये अपने ही बच्चे हैं, नीतीश बाबू बात कीजिये

तस्वीरें नीतीश बाबू के सुशासन वाले राज्य बिहार की है। सरकार को लग रहा वह छात्रों को दबा देगी। लेकिन वो भूल गई कि इंदिरा गांधी के समय इसी छात्र शक्ति ने कमाल कर दिया था। इंदिरा गांधी की छात्रों पर एक-एक लाठी भारी पड़ गई थी।

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या वाली झांकी

सालों से सरकारी नौकरी के लिए माथ मार रहे छत्रों की भीड़ आज पत्थर बरसा रही है। ट्रेन रोक रही है। सड़क जाम कर रही है। वो ऐसा करके एक कृतज्ञ राष्ट्र के प्रति अपनी नाराज़गी जाहिर कर रहे हैं। इस नाराज़गी का परेड ये छात्र पहले भी कई बार कर चुके हैं और तब भी इन्हें पुलिस के डंडे से सलामी मिली थी। क्या आज भी ऐसा ही कुछ होगा? इस सवाल का जवाब अपने आप में बहुत रोचक है। उतना ही जितना इस देश का इतिहास रोचक है। जितना इसका भूगोल सुंदर है। भारत मां के इन नाराज़ लालों को समझना होगा कि हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र हैं। हमारे पासपोर्ट की धाक समूचे विश्व में है। हम विश्व गुरु बनने से बस कुछ कदम ही दूर हैं। उतने ही जितने ये सरकारी नौकारी पाने से हैं। बस चंद कदम…

लेकिन इस चंद कदमों की दूरी को जल्दी पूरा करने के चक्कर में पड़े ये छात्र, इस कृतज्ञ राष्ट्र की अवहेलना कर रहे हैं। इस अवहेलना को रोकने के लिए भारत मां के वीर जवान, अपनी खाकी वर्दी में डंडा लिए, बंदूक़ का कुंदा लिए इनकी तरफ बढ़ रहे हैं। छात्रों के उग्र प्रदर्शन वाले परेड को सुरक्षित गंतव्य तक पहुंचाने के लिए वज्र वाहन, जल फेंकू विशेष वाहन और रायफल से लैस पुलिस के दस्ते कदम ताल करते हुए आगे बढ़ रहे हैं। छात्र अपनी जगह पर सावधान की मुद्रा में खड़े हैं। सामने से पुलिस के जवान ‘पकड़ो इनको, धरो, धरो’ का जयघोष करते हुए आगे बढ़ रहे हैं। ये क्या? अब तक सावधान की मुद्रा में खड़े इन छात्रों ने जवानों पर पत्थर फेंकना शुरू कर दिया है। उन्होंने पुलिस को खदेड़ दिया है। लेकिन थोड़ी ही देर में पुलिस ने वापसी की है। पहली बार में पुलिस ने ख़ुद को खदेड़ाने दिया क्योंकि इस लाइव टेलीकास्ट में दिख सके कि छात्र वाक़ई उग्र हैं। उपद्रवी हैं। जब ये स्थापित हो गया तो पुलिस ने इन छात्रों को तेजी से विकास कर रहे इस देश का मोहर पकड़-पकड़ कर दिया। जो कमरों में बंद हो गए। उन्हें पुलिस ने बाहर निकाला। जो आसानी से बाहर नहीं आ रहे थे उन्हें पुलिस ने दरवाजा-खिड़की तोड़ के निकाला। तो ये आज सुबह राजपथ पर होने वाले मुख्य परेड से पहले की एक रंगारंग झांकी थी। जिसका आयोजन कुछ पल के लिए नाराज़ छात्रों और हमेशा नाराज़ रहने वाली पुलिस ने मिलकर किया था।

गणतंत्र दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

वैधानिक चेतावनी: कुछ लोग इस झांकी को छात्रों के प्रति हिंसा, अत्याचार और ना जाने क्या-क्या कह रहे हैं। ऐसा कुछ भी नहीं है। आप इस कृतज्ञ देश के अनुशासित नागरिक हैं तो ऐसे शब्दों का प्रयोग ना करें, करेंगे तो कल गणतंत्र दिवस समाप्त होने के बाद पुलिस आपको भी, आपके घर से निकाल कर सलामी दे सकती है। इन छात्रों की तरह आपकी भी झांकी निकल सकती है। आप आज राजपथ पर होने वाले परेड पर फ़ोकस करें। छुट्टी भी है तो दोपहर में परिवार के साथ कहीं खाना खा लें। शाम में बिग बाज़ार से घर का सामान ले आएँ, उधर बंपर ऑफर चल रहा है।

Vikas Kumar

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