PM मोदी पर गरीब मजदूरों को नहीं रहा विश्वास, आत्मनिर्भर बने का आइडिया सुन पैदल जा रहे गांव

KRISHNA KANT : भारत के प्रधानमंत्री से मेरी अपील है कि इस गरीब मगर महान आदमी से आत्मनिर्भरता, संयम, संकल्प, पुरुषार्थ, धैर्य और प्रेम का सबक सीखें, ताकि वे देश की गरीब जनता के बारे में संवेदनशील होकर सोच सकें.

इस मजदूर का नाम रामू है. बीवी पेट से है. आठ माह का बच्चा पेट में होने पर आमतौर पर मांएं चल फिर नहीं पातीं. लेकिन दो साल की बिटिया अनुरागिनी को गोद लेकर ये लोग हैदराबाद से पैदल चले थे. रास्ते में पत्नी थकने लगी तो रामू ने बांस और लकड़ियों से गाड़ी बना डाली. पत्नी और बेटी पर उसी पर सवार किया और खींच ले चला. 800 किलोमीटर की दूरी 17 दिन में तय की. हैदराबाद से चला और बालाघाट तक आया.

इससे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह है कि ​दक्षिण भारत से चला यह दंपति मध्य भारत पहुंच गया और इनकी मदद को कोई नहीं पहुंचा. जब रामू अपने जिले में आ गया था, तभी किसी भले अधिकारी ​की इनपर निगाह पड़ी. अधिकारी महोदय ने इन लोगों को कुछ खिलाया पिलाया और निजी वाहन से इनके घर भेजा.

भाषण हो गया, पैकेज घोषित हो गया लेकिन इतिहास के सबसे खौफनाक पलायन पर एक शब्द भी खर्च नहीं किया गया. ईश्वर से प्रार्थना कीजिए कि ऐसे हृदयविदारक दृश्य और न देखने को मिलें.

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