12 March 2025

सीतामढ़ी की बालूशाही, हाजीपुर का केला, गया का तिलकुट, भोजपुर का खुरमा, नालंदा के 52 बूटी को GI टैग

GI tag to Balushahi of Sitamarhi, Banana of Hajipur, Tilkut of Gaya, Khurma of Bhojpur
GI tag to Balushahi of Sitamarhi, Banana of Hajipur, Tilkut of Gaya, Khurma of Bhojpur

PATNA (GI tag to Balushahi of Sitamarhi, Banana of Hajipur, Tilkut of Gaya, Khurma of Bhojpur) : बिहार के विभिन्न जिलों में प्रसिद्ध वस्तुओं को जीआई टैग देने की तैयारी शुरू हो गई है. इससे पहले मिथिला मखान, भागलपुरी सिल्क, मगही पान, कतरनी चूड़ा  सहित अन्य वस्तुओं को जीआई टैग देकर उसकी ब्रांडिंग देश विदेश में की गई है. अब ताजा अपडेट के अनुसार नाबार्ड के द्वारा जो जानकारी दी जा रही है उसके अनुसार बिहार की 6 और वस्तुओं को जीआई टैग दिलाने का काम किया जाएगा.

इसमें सबसे पहले बात कर लेते हैं सीतामढ़ी की बालूशाही के बारे में. अगर आप कभी मिथिला की धरती और मां जानकी की जन्मस्थली सीतामढ़ी गए होंगे और वहां की बालूशाही एक बार भी खाए होंगे तो आप वह स्वाद आज तक नहीं भूल पाए होंगे. कहा जाता है कि ऐसा स्वादिष्ट बालूशाही सीतामढ़ी के अलावे पूरे बिहार तो छोड़ दीजिए देश भर में कहीं नहीं मिलता.

हाजीपुर का केला. हाजीपुर का केला कितना फेमस है यह हमसे और आपसे छिपा हुआ नहीं है. साइज में भले छोटा होता है लेकिन स्वाद में नंबर वन है. यहीं कारण है कि जो ट्रेन हाजीपुर होकर क्रॉस करती है सब के सब कम से कम केला खरीद कर अपने साथ जरूर ले जाते हैं. छठ पूजा में तो देश-विदेश में भी हाजीपुर का केला जाता है.

इसके अलावे भोजपुरी का खुरमा गया का पत्थर कट्टी और तिलकुट अपनी स्वाद के कारण विश्व विख्यात है. नालंदा का 52 बूटी अर्थात साड़ियों पर होने वाली एक तरह की कढ़ाई को कौन नहीं पसंद करता है।

नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक विनय कुमार सिन्हा ने मीडिया कर्मियों से प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि जिन वस्तुओं को जीआई टैग मिल चुका है उसकी ब्रांडिंग की जा रही है और जिन वस्तुओं को नहीं मिला है उन्हें बहुत जल्द जीआई टैग दिलाने का काम किया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि सबौर कृषि विश्वविद्यालय में जीआई टैग को लेकर ट्रेनिंग दी जा रही है.

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