ग्रह-गोचरों के शुभ संयोग में गुरु पूर्णिमा आज, कल से सावन, इस बार 4 सोमवारी

आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा बुधवार 13 जुलाई को ग्रह-गोचरों के उत्तम संयोग में गुरु पूर्णिमा मनेगी। इस पावन अवसर पर लाखों लोग अपने-अपने धार्मिक-आध्यात्मिक गुरुओं के प्रति श्रद्धा निवेदित करेंगे। सनातन धर्म में गुरु को ईश्वर से भी ऊंचा स्थान दिया गया है। गुरु कृपा से ही शांति, आनंद और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अगले दिन यानी गुरुवार 14 जुलाई से भगवान भोलेनाथ का सबसे प्रिय माह सावन की शुरुआत होगी। आध्यात्म के कारक ग्रह वृहस्पति होते हैं और आध्यात्मिक चिंतन में वृहस्पति का विशेष स्थान होता है। इस बार सावन कृष्ण प्रतिपदा वृहस्पतिवार से आरंभ होने के कारण अत्यंत शुभकारी योग बन रहा है। क्योंकि वृहस्पति को गुरु ग्रह माना गया है। आषाढ़ शुक्ल गुरू पूर्णिमा पर पांच ग्रह मंगल, बुध, गुरु, शुक्र व शनि को अपनी स्वराशि में रहने से इस दिन का महत्व कई गुना बढ़ गया है। भूमि, भवन, वाहन के कारक ग्रह मंगल अपनी राशि मेष में रहकर रूचक योग, बुद्धि, विवेक, ज्ञान के कारक ग्रह बुध अपनी राशि मिथुन में रह कर भद्र योग और ज्ञान, अध्यात्म, धर्म, व विवेक के कारक ग्रह बृहस्पति अपनी राशि में रहकर हंस योग का निर्माण करेंगे।

सावन में नागपंचमी व मधुश्रावणी पर्व भी
सावन के महीने में 18 जुलाई को नाग पंचमी का त्योहार मनेगा। इस दिन नाग देवता को दूध पिलाया जाता है। इसी दिन पंचमी तिथि से मिथिलांचल में मधुश्रावणी व्रत का आरंभ होता है, जो 31 जुलाई को संपन्न होगा। इस दौरान नवविवाहिता मधुश्रावणी मनाते हुए सुबह-शाम फूल से भगवान शंकर की पूजा-अर्चना करती हैं।बाबा भोलेनाथ सर्वव्यापी हैं, बहुत कृपालु और दयालु हैं।

सावन में रूद्राभिषेक का विशेष महत्व
सावन महीना में रुद्राभिषेक का विशेष महत्व है। शिव का एक रूप रूद्र रूप भी है। भक्तजन जीवन में विभिन्न तरह की विघ्न-बाधाएं दूर करने के लिए रूद्राभिषेक करते हैं। सावन महीने में हर दिन रूद्राभिषेक किया जा सकता है। बाबा भोलेनाथ से जिन कामनाओं की पूर्ति के लिए भक्तजन रुद्राभिषेक करते हैं, उसके लिए उन पदार्थों से रुद्राभिषेक करने पर मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

श्रीहरि की पूजा से सुख-समृद्धि का वास
गुरु पूर्णिमा पर भगवान को पंचामृत से स्नान, चंदन का लेप, घी का दीपक, खीर का भोग अर्पण कर कपूर की आरती होगी। इस दिन घरों में शंख पूजन के बाद घंटी, डमरू, करताल व शंख ध्वनि से घरों में सुख-समृद्धि का आगमन व निरोग काया की प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार गुरु पूर्णिमा के दिन अपने उज्ज्वल भविष्य के लिए गुरु का आशीर्वाद ग्रहण करना चाहिए। न केवल अपने गुरु-शिक्षक का ही नहीं, अपितु माता-पिता, बड़े भाई-बहन आदि की भी पूजा करें एवं उपहार देकर आशीर्वाद लें।

गुरुवार के दिन से शुरू होगा सावन और 12 अगस्त को रक्षाबंधन से होगा समापन
ज्योतिर्वेद विज्ञान केंद्र के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ. राजनाथ झा के अनुसार इस बार सावन में चार सोमवारी व्रत पड़ेगा। पहली सोमवारी पंचमी तिथि 18 जुलाई, दूसरी सोमवारी द्वादशी तिथि उपरांत त्रयोदशी तिथि पर 25 जुलाई को, तीसरी सोमवारी सावन शुक्ल चतुर्थी तिथि 31 जुलाई को और चौथी सोमवारी सावन शुक्ल एकादशी तिथि 8 अगस्त को पड़ रही है। इसके बाद 12 अगस्त शुक्रवार को सावन पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा।

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