बिहार के हाजीपुर में बड़ा हादसा, गंगा नदी में फंसे नाव पर सवार 300 यात्री, किसी तरह बच गई सबकी जान

बिहार के हाजीपुर में बुधवार शाम गंगा नदी के अंदर 300 से ज्यादा तीर्थयात्रियों से भरी नाव फंस गई। कोनहारा घाट से एक किलोमीटर आगे बीच गंगा में संगम स्थल पर नाव रेत में फंस गई। गनीमत रही कि नाव पानी में डूबी नहीं और बड़ा हादसा टल गया। नाव पर सवार सभी तीर्थ यात्रियों को सकुशल एसडीआरएफ की टीम ने बचाया। हालांकि, जब एसडीआरएफ की टीम रेस्क्यू कर रही थी और नाव हल्की होकर आगे बढ़ने लगी तो नाविक उसे लेकर पटना की ओर चला गया। बचे यात्रियों को कोनहारा घाट लाया गया और बस से पटना भेजा गया। सभी यात्री सोनपुर मेला देखकर लौट रहे थे।

रेत से फंसने के बाद निकलकर कोनहारा घाट पर पहुंचे यात्रियों ने बताया कि नाविक ने प्रत्येक व्यक्ति से 50 रुपए किराया तय किया था। यही नहीं कहा था कि जाम में फंसने से अच्छा है कि कम समय में पटना पहुंचा देंगे। यात्रियों को जहानाबाद और गया वाली ट्रेन पकड़नी थी, इसलिए सभी सवार हो गए। पटना के अदालतघाट और गायघाट पहुंचाने जाने की बात कही गई थी। नाव के फंसने और नाविकों के कई घंटे प्रयास के बाद भी नाव रेत से नहीं निकली तो नाव पर सवार यात्रियों की परेशानी बढ़ने लगी।

इसी बीच एसडीआरएफ की बोट रेत पर फंसी नाव और यात्रियों को बाहर निकालने के लिए पहुंची। तब यात्रियों को लगा जैसे उसे बचाने भगवान आ गए हों। एसडीआरएफ की टीम ने यात्रियों को नाव से बाहर उतारा। उसे अपने वोट से लेकर कोनहाराघाट पहुंचे। शाम सात बजे यात्रियों को निकालने का काम एसडीआरएफ ने शुरू किया। रात के लगभग 830 बजे तक फंसे हुए यात्रियों का बाहर निकाल लिया गया। एसडीआरएफ की टीम के पहुंचने और लगभग 90 यात्रियों को बाहर निकालने के बाद अचानक नाव रेत से निकल गई।

रेत से निकलने के बाद नाविक ने शेष यात्रियों को लेकर गंगा से होते पटना के लिए निकल गई। यात्रियों का एक दूसरे से साथ छूट गया। कुछ लोग हाजीपुर में रह गए, तो कुछ पटना चले गए। नाव पर सवार होने वालों में लगभग 70 फीसदी महिलाएं और वृद्ध शामिल थे। ये सभी कार्तिक पूर्णिमा गंगा स्नान और चंद्रग्रहण स्नान के साथ-साथ मेला घूमने आए थे। पिछले कई दिनों से स्नान ध्यान, पूजा-पाठ और तीर्थ स्थल के परिभ्रमण के बाद नाव से अपने घर लौट रहे थे।

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