रामायण में हनुमान का रोल नहीं निभाना चाहते थे दारा सिंह, ठुकरा दिया था रमानंद सागर का प्रस्ताव
दिलचस्प यह भी है कि दारा सिंह ‘रामायण’ सीरियल में हनुमान की भूमिका नहीं करना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने सीरियल के निर्माता-निर्देशक रामानंद सागर को मना कर दिया था। एक बार दारा जी से मेरी फोन पर बात हुई तो उन्हाेंने बताया, ‘मैंने ‘रामायण’ सीरियल में हनुमान बनने के लिए मना कर दिया था। क्योंकि तब मेरी उम्र 60 साल हो चली थी। मैंने सागर साहब से कहा इस उम्र में उछल कूद वाला रोल मुझसे हो नहीं पाएगा। लेकिन सागर साहब ने कहा –चिंता मत करो सब हो जाएगा।

अब तो इसका मेकअप भी आसान हो गया है। उसे मास्क की तरह बार-बार उतारा और पहना जा सकता है। यह रोल मैंने आपसे ही कराना है। सागर साहब की इतनी बात पर मैंने हां कह दी उनसे मेरे पुराने संबंध थे इसलिए चाहकर भी मना नहीं कर सका। फिर बजरंगबली की ऐसी कृपा हुई कि यह रोल अच्छा हो गया।’ यहां यह भी बता दें कि ‘रामायण’ सीरियल से पहले भी एक बार दारा जी फिल्म ‘बजरंगबली’ में हनुमान बन चुके थे। साथ ही ‘रामायण’ के बाद बी आर चोपड़ा के बहुचर्चित सीरियल ‘महाभारत’ में भी दारा सिंह एक बार फिर हनुमान बने थे। हालांकि ‘रामायण’ में दारा जी के संवाद किसी और से डब कराए गए थे जबकि ‘महाभारत’ में हनुमान के रूप में उनकी अपनी ही आवाज सुनने को मिलती है।
इ न दिनों ‘रामायण’ सीरियल की लोकप्रियता सातवें आसमान पर है। इसने सभी बड़े सेटेलाइट चैनल्स को धूल चटाकर दूरदर्शन को फिर से शिखर पर ला दिया है। इसके पुनर्प्रसारण से बरसों से गुमनामी में खोये इसके मुख्य कलाकार एक बार फिर सुर्खियों में हैं। हालांकि इसमें हनुमान का किरदार निभाने वाले दारा सिंह का 2012 में ही निधन हो गया था जबकि बाली-सुग्रीव बने श्याम सुंदर कुछ दिनों पहले ही इस दुनिया से कूच कर गए। करीब 88 बरस के श्याम सुंदर मुंबई की चकाचौंध की दुनिया से दूर हरियाणा के कालका शहर में अपनी पत्नी प्रिया कलानी के साथ रह रहे थे। बहरहाल, बात हनुमान जी का किरदार निभाने वाले कुश्ती के विश्व विजेता दारा सिंह की करें तो वे इस शो में हनुमान बनने के बाद इतने लोकप्रिय हो गए कि करीबन सौ हिंदी और पंजाबी फिल्मों में काम करने के बावजूद भी उनकी ‘रामायण’ में निभाई हनुमान की भूमिका पूरे फिल्म कॅरिअर पर हावी रही।

दिलचस्प यह भी है कि दारा सिंह ‘रामायण’ सीरियल में हनुमान की भूमिका नहीं करना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने सीरियल के निर्माता-निर्देशक रामानंद सागर को मना कर दिया था। एक बार दारा जी से मेरी फोन पर बात हुई तो उन्हाेंने बताया, ‘मैंने ‘रामायण’ सीरियल में हनुमान बनने के लिए मना कर दिया था। क्योंकि तब मेरी उम्र 60 साल हो चली थी। मैंने सागर साहब से कहा इस उम्र में उछल कूद वाला रोल मुझसे हो नहीं पाएगा। लेकिन सागर साहब ने कहा –चिंता मत करो सब हो जाएगा।
अब तो इसका मेकअप भी आसान हो गया है। उसे मास्क की तरह बार-बार उतारा और पहना जा सकता है। यह रोल मैंने आपसे ही कराना है। सागर साहब की इतनी बात पर मैंने हां कह दी उनसे मेरे पुराने संबंध थे इसलिए चाहकर भी मना नहीं कर सका। फिर बजरंगबली की ऐसी कृपा हुई कि यह रोल अच्छा हो गया।’ यहां यह भी बता दें कि ‘रामायण’ सीरियल से पहले भी एक बार दारा जी फिल्म ‘बजरंगबली’ में हनुमान बन चुके थे। साथ ही ‘रामायण’ के बाद बी आर चोपड़ा के बहुचर्चित सीरियल ‘महाभारत’ में भी दारा सिंह एक बार फिर हनुमान बने थे। हालांकि ‘रामायण’ में दारा जी के संवाद किसी और से डब कराए गए थे जबकि ‘महाभारत’ में हनुमान के रूप में उनकी अपनी ही आवाज सुनने को मिलती है।
‘रामायण’ दारा जी की जिंदगी में कितनी अहमियत रखती थी इस बारे में उनके पुत्र विंदु ने मुझे बताया था, ‘जब जून 2012 में पिताजी की तबीयत कुछ बिगड़ने लगी तो मैंने उनसे कहा, आपकी कोई भी इच्छा हो मुझे बताओ। डैड ने कहा मेरी कोई इच्छा नहीं है। बस एक ही अंतिम इच्छा है मरने से पहले ‘रामायण’ सीरियल फिर से देख लूं। तू मुझे बस उसकी डीवीडी लगा दे, मैं वस वही देखना चाहता हूं। मैं रोज उन्हें उसकी डीवीडी लगाकर दे देता था। उन्होंने 15 दिन में ‘रामायण’ के सभी 78 एपिसोड देख लिए और बोले…‘बस अब मेरी कोई इच्छा नहीं है। यह भगवान राम की ही इच्छा थी कि उन्होंने अपने हनुमान को पास बुला लिया।’
प्रदीप सरदाना, वरिष्ठ पत्रकार एवं फिल्म-टीवी समीक्षक