गुदरी के लाल पप्पू यादव का आज है जन्मदिन, बधाइयों का लगा तांता

आज पप्पू यादव का जन्मदिन है। जन्म 24 दिसंबर, 1967 को बिहार के पूर्णिया जिले के खुरदा करवेली गांव में एक जमींदार परिवार में हुआ था. उनकी पत्नी रंजीता रंजन सुपौल से कांग्रेस की पुर्व सांसद हैं. उनकी दो संतान सार्थक रंजन और प्रकृति रंजन हैं. उनका बेटा सार्थक रंजन क्रिकेट खिलाड़ी है. पप्पू यादव अपने इलाके में काफी लोकप्रिय हैं और वह 1991, 1996, 1999 और 2004 में बिहार के अलग-अलग संसदीय क्षेत्र से लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं. वह समाजवादी पार्टी, लोक जनशक्ति पाटी और राष्ट्रीय जनता दल जैसे कई दलों से जुड़े रह चुके हैं. उन्हें साल 2015 में सर्वश्रेष्ठ सांसद का सम्मान मिल चुका है. उन्होंने मधेपुरा के बीएन मंडल यूनिवर्सिटी, मधेपुरा में रजानीति शास्त्र में स्नातक और इग्नू से डिजास्टर मैनेजमेंट एवं ह्यूमन राइट्स में डिप्लोमा किया है.

विवादों से भी रहा नाता

राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव 1990 में निर्दलीय विधायक बनकर बिहार विधानसभा में पहुंचे. बाद का उनका सियासी सफर आ-पराधिक मामलों के कारण विवादों से भरा रहा. विधायक बनने वाले पप्पू यादव ने बहुत कम वक्त में कोसी क्षेत्र के कई जिलों में अपना प्रभाव बढ़ा लिया. उन्होंने मधेपुरा, पूर्णिया, सहरसा, सुपौल और कटिहार जिलों में काफी प्रभाव बनाया है. सबसे पहले साल 1990 में उन्हें राजनीतिक सफलता मिली, जब वह सिंहेश्वरस्थान से बिहार के निर्दलीय एमएलए चुने गए. इसके बाद 1991 में ही वह पूर्ण‍िया से सांसद चुन लिए गए.

साल 2009 में पटना हाईकोर्ट ने चुनाव लड़ने की इजाजत देने की पप्पू यादव की याचिका को खारिज कर दिया. असल में पप्पू यादव को म-र्डर के एक मामले में कोर्ट में दोषी ठहरा दिया गया था. पप्पू यादव की मां शांति प्रिया पूर्ण‍िया से चुनाव लड़ीं, लेकिन बीजेपी कैंडिडेट उदय सिंह ने उन्हें हरा दिया. अजित सरकार म-र्डर केस में पप्पू यादव कई साल जे-ल में भी रहे. लेकिन पटना हाईकोर्ट ने साल 2013 में उन्हें बरी कर दिया.

पढ़ने-लिखने वाले सांसद

7 मई, 2015 को उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में राष्ट्रीय जनता दल से चार साल के लिए निकाल दिया गया, जिसके बाद पप्पू यादव ने मई 2015 में अपना राजनीतिक दल खड़ा किया है जिसका नाम है जन अधिकार पार्टी. वह पहले राष्ट्रीय जनता दल से भी जुड़े रहे हैं. साल 2015 के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने 40 सीटों पर अपने कैंडिडेट खड़े किए थे, हालांकि पार्टी को कुछ खास सफलता नहीं मिली.

पप्पू यादव साहित्य और लेखन में भी अच्छी रुचि रखते हैं. उन्होंने अपनी आत्मकथा ‘द्रोहकाल के पथिक’ शीर्षक से लिखी, जिसे नवंबर 2013 में जारी किया गया. इसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि साल 2001 में उनकी पार्टी के तीन सांसदों को तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने पैसा देकर एनडीए में शामिल कराया था. अपनी किताब ‘जे-ल’ में पप्पू यादव ने पटना के बेऊर जेल से लेकर दिल्ली के तिहाड़ जेल में अपने बिताए अनुभव को विस्तार से लिखा है.

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