हवन-पूजा करने से नहीं होगा कोरोना, आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय ने किया रिसर्च में दावा

PATNA : देशी घी-गुगुल-नीम-सरसों सहित 8 वस्तुओं के हवन से भागेगा काेराेना, बढ़ेगी राेग प्रतिराेधक क्षमता

क्या हवन से हार जाएगा कोरोना? थम जाएगा इसका संक्रमण? राजकीय आयुर्वेदिक काॅलेज एवं अस्पताल और आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के माइक्रो टेक्नोलॉजी विभाग की संयुक्त रिसर्च टीम इन दोनों सवालों का जवाब ‘हां” में देती है। रिसर्च के मुताबिक देशी घी, गुगुल, नीम, शहद, सरसो, वचा, कुठ, सेंधा नमक के मिश्रण से तैयार रक्षोध्न अष्टक धूप के हवन से वायरस पर रोक लगाई जा सकती है।

आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के नैनो टेक्नोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. आरके सिंह कहते हैं कि प्राचीन ग्रंथों में भी हवन से शरीर के सभी अंगों पर लेअर बनता है, जिससे हानिकारक तत्व का असर शरीर पर नहीं पड़ता है। आयुष मंत्रालय ने भी अष्टक धूप के क्लीनिकल ट्रायल को हरी झंडी दे दी है।

रक्षोध्न अष्टक धूप में देशी घी, गुगुल, नीम, सरसों, शहद, सेंधा नमक, वचा, कुठ का होगा मिश्रण : आइसोलेशन वार्ड में कोरोना मरीज को ठीक होने में 14 दिन का समय लगता है। लेकिन, रक्षोध्न अष्टक धूप से लगातार 10 दिनों तक हवन करने से कोरोना वायरस पर अंकुश लगाया जा सकता है। डॉ. सिंह के मुताबिक कोरोना वायरस की साइज 75 नैनो माइक्रोन है। जिसे लेंस द्वारा आसानी से देखा जा सकता है।

हवन के दौरान निकलने वाले कण की साइज भी 40 से 75 माइक्रोन होती है। ये कण हमारे शरीर के प्रत्येक हिस्से पर रक्षा कवच बन जाएंगे। इसके साथ ही वातावरण के दूसरे सजीव और निर्जीव पदार्थों पर भी रक्षा कवच बनकर एक लेअर का काम करेंगे। ऐसे में कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति किसी चीज को छुएगा, तो हवन से निकलने वाले रक्षा कवच की वजह से कोरोना वायरस का असर नहीं होगा। धीरे-धीरे वातावरण से कोरोना वायरस समाप्त हो जाएगा।

रक्षोध्न अष्टक धूप से कोरोना वायरस को पूरी तरह से समाप्त किया जा सकता है। आयुष मंत्रालय की स्वीकृति मिल चुकी है। बिहार में इसके प्रयोग के लिए सरकार और एम्स को पत्र लिखा गया है। निर्देशन के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। -प्रो. दिनेश्वर प्रसाद, प्राचार्य, राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज एवं अस्पताल, पटना

हवन मे इस्तेमाल होने वाले सभी चीजों का वैज्ञानिक महत्व है। हवन से निकलने वाले कण कोरोना वायरस के साथ ही सभी सजीव और निर्जीव चीजों पर रक्षा कवच बना लेंगे। जिससे संक्रमण को रोका जा सकता है। -डॉक्टर आरके सिंह, विभागाध्यक्ष, नैनो टेक्नोलॉजी विभाग आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *